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काम नहीं मिलने से मजूदरों का पलायन

महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के लिए राशि मिलने के बाद भी मजदूरों के बजाय मशीनों से कराया जा रहा है काम, नतीजे में काम की तलाश में मजदूरों का हो रहा है पलायन

शब्बीर अहमद, बेगमगंज.


मजदूरों का हो रहा है पलायन
काम की तलाश में मजदूरों का हो रहा है पलायन
 महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के उद्देश्यों को रायसेन जिले में पलीता लगाया जा रहा है। मनरेगा के तहत विभिन्न कार्यों को मजदूरों से ही करवाने और प्रत्येक मजदूर को 100 दिन काम की गारंटी का सख्त प्रावधान है, लेकिन जिले की बेगमगंज तहसील में मजदूरों के बजाय खुलेआम मशीनों से काम कराया जा रहा है। नतीजे में काम नहीं मिलने से मजदूरों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है, जिसके चलते मजदूरों का पलायन शुरु हो गया है। दूसरी ओर, जिम्मेदार अधिकारी सच्चाई को स्वीकारने और राहत दिलवाने के बजाय किसी मजूदर के भूख से मरने के बाद उसके परिवार की ओर से लिखित शिकायत का इंतजार कर रहे हैं।

गौरतलब होगा कि, तीन वर्ष पूर्व हुए पंचायती चुनाव के बाद से ही मनरेगा के तहत मजदूरों को काम मिलना बंद हो गया है। मजबूरीवश कई मजदूरों को जिले के बाहर काम की तलाश में पलायन करना पड़ा है। प्रशासन भी मजदूरों को काम दिलाने में असफल रहा है, क्योंकि मनरेगा में चल रहे काम असरदारों की जेसीबी मशीनें कर रहीं है। तहसील में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, जबकि राजधानी भोपाल से रायसेन जिले की सीमाएं लगी हैं और औद्योगिक प्रक्षेत्र मंडीदीप में 400 से ज्यादा कारखाने हैं, जिनमें जिले के बाहर के 90 प्रतिशत लोग काम कर रहे है। जिले के लोगों को प्राथमिकता नहीं मिलने से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इसी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूर मजदूरी के लिए निकटवर्ती भोपाल, सागर, विदिशा, इन्दौर जिले में पलायन कर गए है। गैर सरकारी सूत्रों के अनुसार, जिले से बीते दो महीने में 7 से 8 हजार मजदूर परिवार पलायन कर चुके हैं।

महीनों से है काम बंद

महीनों से है काम बंद
प्रशासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सतत रोजगार उपलब्ध कराने के लिए संचालित महात्मा गांधी राष्टीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पिछले कई महीनों से बंद है। इस कारण मजदूरों को रोजगार नही मिल रहा है। बेगमगंज समेत जिले के अधिकांश जनपद पंचायत क्षेत्रों में यही हाल है। काम नहीं मिलने से मजदूरों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है। मनरेगा अंतर्गत कपिल धारा कूप निर्माण, मेड़ बंधान, नंदन फलोद्यान, निर्मल नीर, वृक्षारोपण, सामुदायिक, ग्रेवल रोड, सीसी रोड, तालाब निर्माण, खड़ंजा, भूमि सुधार आदि के कुछ कार्य हुए है। इसके बाद से काम ठप पडे हैं, जबकि मनरेगा के तहत योजनाओं की किश्त जारी हो चुकी है। अगर किसी पंचायत में काम करवाए भी जा रहे हैं तो जेसीबी मशीन से करवाए जा रहे हैं। ऐसे में मजदूर बेकाम होकर भूखों मरने की कगार पर हैं।

फर्जी जाब कार्ड बनें

जिस नाम का मजदूर उस गांव को छोड़ पंचायत या बेगमगंज तहसील में भी नहीं रहता, उसका जॉब कार्ड भी सरपंचों द्वारा बनवाए जाने के पुख्ता सबूत मिले है। ऐसी कई पंचायतें हैं, जिनमें फर्जी जाब कार्डो की आड़ में जेसीबी मशीन से काम कराया जाकर भुगतान भी सरपंच और सचिव द्वारा निकाल लिया गया है। ऐसे दो दर्जन से अधिक प्रकरण सामने आए हैं और जनसुनवाई में भी शिकायत की गई है। ऐसे मामलों की जांच के निर्देश ठंडे बस्ते में दबे पडे हैं।

केबी मालवीय, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत ने फरमाया

कलेक्टर या एसडीएम को फर्जी जॉब कॉर्ड की शिकायतें की गई हैं, लेकिन अभी तक मुझे नहीं मिलीं। जब मुझे शिकायत मिलेगी, तब जांच करके दोषी के खिलाफ कार्रवाई करेगें। तहसील से मजदूरों के पलायन की खबरें तो आ रही हैं, लेकिन किसी मजूदर ने अभी तक एक भी मजदूर ने सीधे मुझको यह नहीं बताया कि काम नहीं मिलने के कारण गांव छोड़कर जा रहे हैं।

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