(लाइव इंडिया के वरिष्ठ संवाददाता)
पिछले दिनों उद्धव ठाकरे के एंजियोप्लास्टी के दौरन मैं लीलावती अस्पताल के बाहर खड़ा था तभी मेरे एक अजीज मित्र विजय का फोन आया और उन्होने कहा कि मैडम सोनियॉ गांधी ने कांग्रेस के सफाया होने की घोषणा कर दी है ..., तो वहीं स्वयं सेवक संघ के करीबी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी ने अपने आई क्यू का इस्तेमाल किया और स्वामी विवेकानंद और अंडरवर्ड डॉन डाउद इब्राहिम का आइ क्यू एक जैसा करार दिया । यहीं बात कुछ दिन पहले कांग्रस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कसाब जैसे अपराधी को कसाब जी कह दिया । इन बातों को देखोगे तो आप क्या कहेगें कि ये इनका बड़बोलापन है या फिर इनकी फिसलती जुबांन जिसे अंग्रेजी में स्लीप आफ टंग भी कहते हैं।
देश के सबसे बड़े राजनीति घराने की बहू की जबान फिसलने की सबसे बड़ वजह यह रही कि उन्हें हिंदी नहीं आती और वो एसे देश के सबसे पुरानी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा है । जब अपने भाषणों को अंग्रेजी में पढ़ती है तो जुबांन फिसल ही जाती है । दरअसल उन्होनें दिल्ली की एक रैली में अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भाषण दे रही थी और उन्होंनें कहा कि .. कांग्रेस का दमन साफ है ... इसका मतलब है कि कांग्रेस का दामन साफ है । स्पेलिंग एक जैसी होने के कारण उन्हें दमन और दामन में कोई फर्क समझ में नहीं आया ।
अब बात करें देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तो इन दिनों विवाद और नितिन गड़करी एक दूसरे के पूरक हैं । जहां गड़करी वहां विवाद । पिछले दिनों पूर्ती ग्रुप में हिस्सेदारी को लेकर विवादों में आए फिर आईआरबी इनफ्रास्टक्चर के साथ पैसे के हेराफेरी की बात आई एसे में गड़करी साहब अपना आई क्यू इस्तेमाल कर नहीं पा रहे हैं । स्वामी विवेकानंद को लेकर बीजेपी के एक बड़े नेता गुजरात में रथ यात्रा की शुरुआत की तो वहीं उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी को उन्हीं विवेकानंद का आई क्यू अब दाउद के आई क्यू जैसा लगने लगा ...... बाद में उन्होनें माफी मांग ली लेकिन वो तुलना करना चाह रहे थे.वो देश में अच्छे काम करने वाले दूसरे लोगों से भी कर सकते थे लेकिन उन्होनें ऐसा नहीं किया ।
अब बात करें तो देश के सबसे बड़बोले नेता और मुस्लीम तुस्टीकरण के हिमायती दिग्विजय सिंह की । मध्य प्रदेश को गर्त में पहुंचाने में के बाद दिग्गी राजा दिल्ली पहुंचे औऱ राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु बन बैठे । पिछले दिनों उनके कई बायानों पर नजर डाला जाए तो आपको पता चल जाएगा कि वो देश और सुरक्षा एजेंसियों के हिमायती हैं या फिर अपने बयानों के जरिए देश के लॉ एंड आर्डर यानी कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार नेता । दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए लोग इनकी नजर में मारे गए आतंकी इनोसेंट हो गए तो क्या सुरक्षा एजेंसियां गलत थी .. तो वहीं मुंबई के 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले में जहां देश पड़ोसी मुल्क को सबुत पेश कर रहा है वहीं एआर अंतुले औऱ दिग्विजय सिंह को हिंदु लोगों का हांथ नजर में आता है ।
इन नेताओं की बेलगाम जुबांन और बड़बोलापन ही है कि इनके ग्राफ और इनकी मानसिकता को दर्शाता है । एसे में जिस देश में बोलने की आजादी है वहां इतना मत बोलो कि देशवासी तुमको दिवालिया घोषित कर दें । इसीलिए इन नेताओं के लिए एक नसीहत हमेशा याद रखनी चाहिए कि
"अति का भला न बोलना अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना अति की भली धूप"