| भागवत कथा करते महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणवानंद |
कथा के तीसरे दिन महामण्डलेश्वर 1008 स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने विशाल धर्म सभा में कहा की योग्यता के बिना विकास संभव नही है। धर्म साधना मनोरंजन के लिए नही है। धर्म के लिए ब्रहमचर्य जरूरी है, गृहस्थ जीवन मे भी रह कर ब्रहमचर्य का पालन व संयम बहुत आवश्यक है। इसी से देश काल समय वार तिथि का ज्ञान होता है। हिन्दू धर्म श्रेष्ठ धर्म है, दुनिया के किसी भी देश की संस्कृति हिन्दू जैसी नही है। तलाक शब्द भारतीय संस्कृति नही है, किसी भी पुराण मे तलाक की अवधारणा नही है, सर्मपण की अवधारणा है। भारत में नारी मुक्ति के आंदोलन चलाए जा रहे है, मै नारी मुक्ति का विरोधी नही हूं, लेकिन पहले ये बात बताओ की नारी कहा बंधक है? भारतीय नारी को सनातन काल से ही पूरी स्वतंत्रता है, वह स्वंयवर रचा कर अपने पति का चयन कर रही है। नारी को चुनने की स्वतंत्रता है। वह स्वयं अपने पति का वरण करती है। आध्यात्मिक उर्जा का रूपान्तरण धर्म है आजकल सब कुछ होता हे केवल वैराग्य नही होता।
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| धर्मसभा मे प्रवचन सुनते मंत्रमुग्ध महिला श्रद्धालु |
कथा आरंभ होने से पूर्व भगवत पुराण पूजन किया गया। सहारा समय के ब्यूरो कुंवर नरेश प्रताप सिह राठौर ने स्वामी जी का पुष्पमाला से स्वागत किया व कथा की समाप्ति पर आरती के यजमान रहे प्रकाश प्रजापत के द्वारा प्रसादी वितरण की गई।
