जमीर सिद्दीकी, मुंबई.
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखा जाता है। भारत की मिली-जुली संस्कृति में आपको हर धर्म का रंग देखने को मिलेगा। यहां हर धर्म के त्यौहारों को समान हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति की यही पहचान हमें आज कल रमजान के पाक महीने के रूप में देखने को मिलरही है।
बरकत और रहमतों का महीना रमजान शुरू है। बुराइयों से तौबा कर अल्लाह की इबादत करने का यह महीना मुस्लिमों के लिए खासा महत्व रखता है।
रमजान का महीना बेहद पाक और रहमतों वाला होता है। इस महीने में इबादत का सत्तर गुना ज्यादा शबाब मिलता है। रमजान में रोजा (खास तरह का व्रत) रखने का खास महत्व होता है। रमजान के महीने में 30 दिन लोग रोजा रखते हैं। इसके बाद इस महीने के आखिरी दिन ईद मनाई जाती है। अगर आखिरी दिन चांद न नजर आए तो ईद एक दिन बाद भी मनाई जाती है।
रोजा रखने पर इंसान को आंख, हाथ, दिल और मुंह से कुछ भी बुरा करने से परहेज करना चाहिए। रोजा रखने वाले इंसान को हमेशा बुराई से तौबा करते रहना चाहिए। इससे रोजा रखने वाले का दिल साफ रहता है।
रोजे के दौरान रोजा रखने वाले को सूर्य निकलने से पहले से सूर्य डूबने तक किसी भी तरह की चीज खाने-पीने से परहेज करनी चाहिए। सूर्य डूबने के बाद और सूर्य निकलने से पहले उसे हल्का खाना खाना चाहिए। रोजेदार के दिन की शुरुआत हल्की सुबह में अजान से पहले सेहरी खाकर होती है।
रमजान को कुरान का भी महीना कहा जाता है। रमजान की रात में एक विशेष नमाज होती है जिसे तरावीह कहते हैं। यह सबसे लंबी बीस रिकात के दौरान पढ़ी जाती है। इस नमाज को पढ़ाने के लिए हर मस्जिद में एक हाफिज को बुलाया जाता है। हाफिज उसे कहते हैं जिसे पूरा कुरान याद हो।
रमजान में शब-ए-कद्र की रात विशेष महत्वपूर्ण होती है। रमजान की 21, 23, 25, 27, 29वीं रात शब-ए-कद्र की रात होती है। इस रात अल्लाह की रहमत खास तौर पर होती है। यह रात एक हजार रातों से बेहतर होती है। इसलिए इस रात को खास इबादत होती है।
रोजों के दौरान जो सबसे महत्वपूर्ण बात होती है वह होती है ना कोई बुरा काम करना और ना ही करने देना। रोजों के दौरान रोजेदार को अगर कुछ बुरा होते हुए दिखाई दे तो उसे यथासंभव रोकने का प्रयास करना चाहिए।
बरकत और रहमत का पाक महीना ‘‘रमजान’’
जुलाई 16, 2014
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