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उप स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज नहीं, आवारा पशुओं का है डेरा

अरुण सिंह, पन्ना.

प्रदेश के सबसे पिछड़े कहे जाने वाले पन्ना जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की यह बानगी है। जिला मुख्यालय से महज 25 किमी दूर उप स्वास्थ्य केन्द्र जरधोवा के संचालन के लिए हर साल लाखों रुपए का बजट आवंटन होकर खर्च भी हो रहा है, जबकि मौके पर अस्पताल में बीमारों के इलाज के बजाय मवेशी बांधे जा रहे हैं। अस्पताल भवन में गंदगी और कचरा भरा पड़ा है, घास तक उग आई और जिनके पास कहीं ठिकाना नहीं होता, वह यही ठिकाना बना लेते हैं। इस भवन में एक दिन भी न तो डॉक्टर आए और न ही कभी किसी बीमार का इलाज किया गया, फिर भी हर साल लाखों रुपए का बजट इसी अस्पताल के नाम से आंवटित होकर पूरा का पूरा खर्च भी हो जाता है। 

उप स्वास्थ्य केंद्र में बांधे जा रहे मवेशी
उप स्वास्थ्य केंद्र में बांधे जा रहे मवेशी
सात वर्ष पूर्व बने भवन पर ग्रामीण बांध रहे मवेशी 

इस केन्द्र के संचालन हेतु हर साल निकल रही राशि 


जरधोवा गांव के आदिवासी टोला में सड़क किनारे उप स्वास्थ्य केन्द्र स्थित है, जिसे सहजता से पहचाना नहीं जा सकता। भवन को बने तकरीबन सात वर्ष हो गये हैं फिर भी इस भवन में कहीं भी उप स्वास्थ्य केन्द्र नहीं लिखाया गया है। ग्रामीणों की माने तो जब से यह भवन बना है आज तक यहां पर स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी नहीं आया। भवन के भीतर का नजारा देखकर तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि यह उप स्वास्थ्य केन्द्र है। चैनल गेट को पार करते ही सामने एक चारपाई पड़ी है जिसमें गंदी गुदड़ी बिछी हुई है। बगल के कमरे में भूसा भरा हुआ है तथा अन्दर सभी कमरों व आंगन में मवेशियों को बांधने की व्यवस्था है। भवन के भीतर प्रवेश करते ही गोबर व पशु मूत्र की तेज गंध आती है। नाक में रूमाल रखकर जब रेलिक रिपोर्टर ने जब भवन में प्रवेश किया तो अन्दर कई बकरियां विचरण कर रही थीं तथा उनके खाने के लिए हरे वृक्षों की पत्तीदार टहनियां भी पड़ी थीं। 


उप स्वास्थ्य केंद्र के भीतर का नजारा
उप स्वास्थ्य केंद्र के भीतर का नजारा
उप स्वास्थ्य केन्द्र के पास ही खड़े गांव के बबलू यादव, कल्लू व बिहारी आदिवासी से जब पूछा गया कि इस भवन में कौन रहता है तथा यहां पर किसके मवेशी बांधे जाते हैं तो अनभिज्ञता जताते हुए कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। यह जरूर बताया कि मवेशी उनके नहीं हैं। बिहारी आदिवासी ने बताया कि इस भवन के निर्माण का भूमि पूजन मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले ने किया था लेकिन भवन का उद्घाटन किसी ने नहीं किया। भवन का निर्माण होने के बाद भी इसमें कभी स्वास्थ्य केन्द्र संचालित नहीं हो सका। इसका किस तरह उपयोग हुआ यह आप देख ही रहे हैं। देखरेख के अभाव में उप स्वास्थ्य केन्द्र की दीवालों पर जहां दरारें आ गई हैं वहीं छत जगह-जगह से चू रही है। यह पक्का भवन उद्घाटन से पूर्व ही खण्डहर में तब्दील हुआ जा रहा है। 

उप स्वास्थ्य केन्द्र जरधोवा का भवन
उप स्वास्थ्य केन्द्र जरधोवा का भवन
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े इस संवेदनशील मामले की तहकीकात करने वाले समाजसेवी संस्था समर्थन के ज्ञानेन्द्र तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से हर साल उप स्वास्थ्य केन्द्रों के संचालन व मेन्टेनेन्स के लिए 20 हजार रूपए एएनएम को प्रदाय किये जाते हैं। यह राशि जिले में संचालित होने वाले सभी उप स्वास्थ्य केन्द्रों को जारी होती है, लेकिन इस राशि का उपयोग कहां व कैसे होता है, इसकी खोज खबर कोई नहीं लेता। जाहिर है कि जरधोवा की ही तरह जिले के अन्य कई उप स्वास्थ्य केन्द्र भी इसी तरह संचालित हो रहे होंगे। श्री तिवारी ने बताया कि जरधोवा में पदस्थ एएनएम से जब हर साल मिलने वाली राशि के संबंध में पूंछा गया तो पहले उसने मना किया, लेकिन जब उसे यह बताया कि बीएमओ देवेन्द्रनगर अभिषेक जैन ने राशि जारी किये जाने की पुष्टि की है तो एएनएम रामकुंवर ने कहा कि भवन की पुताई आदि में वह राशि खर्च कर दी गई है। भवन की हालत देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि सच्चाई क्या है तथा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर क्या चल रहा है। 

मंत्री सुश्री महदेले द्वारा भूमि पूजन की पट्टिका
मंत्री सुश्री महदेले द्वारा भूमि पूजन की पट्टिका
5.70 लाख की लागत से हुआ था निर्माण
जरधोवा के इस उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन का निर्माण ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा 5.70 लाख रूपए की लागत से कराया गया था। भवन के निर्माण की गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते 6 सालों में ही उसकी दीवालें चटक गई हैं तथा छत जगह-जगह से चू रही है। सबसे आश्चर्य जनक बात तो यह है कि इस उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन का भूमि पूजन तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले द्वारा किया गया था। वर्तमान में सुश्री महदेले प्रदेश शासन में पीएचई, पशुपालन विभाग की मंत्री हैं फिर भी उनके ही विधानसभा क्षेत्र में इस तरह का गोरख धंधा चल रहा है और आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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