हे ईश्वर, क्या होगा इस संसार का...अभी पाकिस्तान में हुए हादसे के बाद लोगों के आंसू भी नहीं सूख पाये थे कि इराके के फालूजा में 150 से अधिक औरतों का कत्लेआम कर दिया गया। जेहादियों के नाम पर बददिमाग और सरकश लोगों ने पूरी दुनिया पर अपनी ही तरह के लोगों का राज देखने का जो दिवास्वप्न देख रखा है, क्या वह पूरा हो पायेगा, यह तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन अतीत का अगर हम अवलोकन करें तो पायेंगे क्या कंस और क्या रावण और क्या हिटलर सबने यही सपना देखा था। रावण और कंस ने अपनी ही तरह पूरे संसार को आसुरी और हिटलर ने संसार को अपनी मुट्ठी में करने का सपना देखा था, लेकिन क्या हुआ?
यह सबको पता है यही हाल शायद जेहाद के नाम पर जुल्म ढहाने वालों का है जो पूरी दुनिया में जिहादी फंडामेलिज्म के नाम पर अत्याचार कर रहे हैं। आज फिर इराक और तुर्की की समाचार एजेंसियों ने खबर दी है कि जिहाद के नाम पर 150 से अधिक औरतो का पहले शोषण, बलात्कार और फिर शादी न करने के इल्जाम में कत्लेआम कर दफना दिया गया।
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का एक बार फिर दर्दनाक और बर्बर चेहरा सामने आया है। समाचार एजेंसियों के मुताबिक इराक में आईएल आतंकियों ने शादी से इंकार करने पर 150 से ज्यादा महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया। इनमें से कुछ महिलाएं गर्भवती भी थीं। इस्लामिक स्टेट ने इराक के पश्चिमी राज्य अल अनबार के फालूजा में कम से कम 150 महिलाओं को सिर्फ इस वजह से मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि उन महिलाओं ने आतंकियों से शादी करने से इंकार कर दिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को एक लाइन में खड़ा करके उनकी एक-एक कर हत्या की गई। इस नरसंहार की पुष्टि इराक की समाचार एजेंसियां और तुर्की के मानवाधिकार मंत्रालय दोनों ने की है। तुर्की मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आतंकियों ने महिलाओं की हत्या के बाद उन्हें सामूहिक कब्र में दफना दिया। इससे पहले पिछले महीने भी इसी आतंकी गुट ने स्थानीय निवासियों में से 50 लोगों को बेरहमी से मार दिया था। इनमें से कुछ बच्चे भी थे।
लेकिन मीडिया का चेहरा एक बार फिर सामने आ गया कि इस पर किसी भी मीडिया ने और विश्व के नेताओं ने अपनी जुबान नहीं खोली, क्या हो गया है दुनिया को और दुनिया वालों को जो यह जुल्म और दहशत में जी रहे हैं क्यों नहीं अब अमेरिका और संसार के दूसरे लम्बरदार अब आगे बढ़कर ऐसे जेहादियों के खिलाफ जंग नहीं छेड़ रहे। क्या ओबामा वही है जो पूरी दुनिया से आतंकवाद का नामोनिशान मिटाने का झंडा बुलंद करते रहे हैं। कहां है विश्व का वह मंच जो रोज यह सब देख रहा है और खामोशी की चादर ओढेÞ है। अगर अभी यह खत्म नहीं किया गया तो क्या अमेरिका, क्या आस्ट्रेलिया, क्या फ्रांस, क्या भारत सभी देश उनके निशाने पर हैं जहां की तरक्की और भाईचारा इन्हें रास नहीं आ रहा है। रोको इन्हें वर्ना तब तक बहुत देर हो चुकी होगी और धरती खून से रक्त रंजित।
