इंदौर
शहर के बीच 1951 में सिटी इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा बनाया गया जवाहर मार्ग ब्रिज 22 सितंबर को टूट गया था। भास्कर ने निगम के जिम्मेदारों को जनता की परेशानी बताई। हर दिन की मॉनिटरिंग, काउंटडाउन किया।
असर यह हुआ कि सरकारी सिस्टम ने भी मिशन मोड में जनता से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम किया। नतीजा 115 दिन में ब्रिज तैयार हो गया। 26 जनवरी से ब्रिज जनता के लिए खोल दिया गया है।
नंदलाल पुरा चौराहा और प्रेमसुख टॉकिज के मध्य में यह ब्रिज स्थित था। पूरे जवाहर मार्ग में 44 रास्ते जुड़ते हैं। इस मार्ग पर 18 क्रॉसिंग है और इस अति महत्वपूर्ण मार्ग पर शहर के 22 प्रमुख बाजार स्थित है।
यह थी शर्ते
ब्रिज को बनाने की मियाद साढ़े पांच माह थी, जिसमें अगर देरी होती है प्रतिदिन एक लाख रुपए की पैनल्टी लगने वाली थी, जबकि समय से पहले तैयार करने पर प्रति दिन एक लाख रुपए और अधिक्तम 25 लाख रुपए का अवॉर्ड से सम्मान किया जाएगा।
ब्रिज को बनाने की मियाद साढ़े पांच माह थी, जिसमें अगर देरी होती है प्रतिदिन एक लाख रुपए की पैनल्टी लगने वाली थी, जबकि समय से पहले तैयार करने पर प्रति दिन एक लाख रुपए और अधिक्तम 25 लाख रुपए का अवॉर्ड से सम्मान किया जाएगा।
जवाहर मार्ग ब्रिज - 60 फीट चौड़ा और 150 फीट लंबा
एजेंसी - पार्श्व बिल्डर ( सुमत लोहाड़िया)
ब्रिज क्षतिग्रस्त खुलासा - 22 सितंबर
ब्रिज तोड़ा - 30 सितंबर ( पांच पोकलेन)
विशेष परमिशन से टेंडर खुला - 12 अक्टूबर
ब्रिज की लागत - करीब सात करोड़ ( टेंडर में पांच करोड़ थे, जिसमें 35 प्रतिशत अबाव रेट डाले थे, जो सबसे कम थे।
सबसे पहले डली दो स्लैब - 28 और 29 नवंबर
दूसरी दो स्लैब - 30 से 31 दिसंबर
लोड टेस्टिंग - 8 ट्रक 250 टन के 24 घंटे ब्रिज पर खड़े रहे
ब्रिज को बनाने की मियाद - साढ़े पांच माह
एजेंसी - पार्श्व बिल्डर ( सुमत लोहाड़िया)
ब्रिज क्षतिग्रस्त खुलासा - 22 सितंबर
ब्रिज तोड़ा - 30 सितंबर ( पांच पोकलेन)
विशेष परमिशन से टेंडर खुला - 12 अक्टूबर
ब्रिज की लागत - करीब सात करोड़ ( टेंडर में पांच करोड़ थे, जिसमें 35 प्रतिशत अबाव रेट डाले थे, जो सबसे कम थे।
सबसे पहले डली दो स्लैब - 28 और 29 नवंबर
दूसरी दो स्लैब - 30 से 31 दिसंबर
लोड टेस्टिंग - 8 ट्रक 250 टन के 24 घंटे ब्रिज पर खड़े रहे
ब्रिज को बनाने की मियाद - साढ़े पांच माह