आनंद सिंह गौर, लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में सरकार के साथ ही सत्तासीन भाजपा संगठन में बडे बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस फेरबदल की तैयारी है। इसके चलते प्रदेश सरकार में मंत्री बनने की इच्छा रखने वाले विधायकों और विधान परिषद सदस्यों का इंतजार बढ़ने के साथ ही योगी मंत्रिमंडल से कुछ पुराने चेहरों की जगह नए चेहरे आ जाएंगे। यह भी एक कारण है कि इस बार जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या जो लोग संगठन की टीम में आएंगे उन्हीं नेतृत्व में विधानसभा का अगला चुनाव लड़ा जाना है, जो जनवरी से मार्च 2022 के बीच होगा।
उत्तर प्रदेश में 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी। तब यह यह उम्मीद जताई गई थी कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ अन्य विधायकों व विधान परिषद सदस्यों को मंत्री बनाकर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को और दुरुस्त किया जाएगा। पर, यह इंतजार खिंचते-खिंचते लोकसभा चुनाव के पार आ पहुंचा। कई कारणों से यह फेरबदल टलता गया।
इस बीच, सरकार के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी के चलते प्रदेश सरकार से एक मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी हो चुकी है। तीन अन्य मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी और डॉ. एसपी सिंह बघेल भी सांसद चुने जा चुके हैं। मतलब मंत्रिमंडल में अब चार जगहें और खाली हो चुकी हैं। जिनके स्थान पर नए लोगों को जिम्मेदारी मिलनी है।
इसलिए होगर योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल
इसके अलावा कुछ मंत्रियों के कामकाज को लेकर नेतृत्व के पास शिकायतें पहुंची हैं। इनमें कुछ के विभागों में फेरबदल होगा तो कुछ को नई भूमिका सौंपी जा सकती है। अच्छा काम करने वाले कुछ स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्रियों को तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री तो कुछ राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया जाना है। कुछ मंत्रियों की सांगठनिक क्षमता देखते हुए उन्हें सरकार से संगठन में भेजने का निश्चय किया जा चुका है।कुछ विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के संगठन में अच्छा काम देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर इनाम देने की तैयारी की है।
शाह और पांडेय के दिल्ली जाने से बदले समीकरण
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय के केंद्र सरकार का हिस्सा बन जाने के कारण दोनों ही जगह नए अध्यक्ष बनाए जाने हैं। प्रदेश संगठन के अन्य कुछ पदाधिकारियों को भी बोर्डों और आयोगों में अध्यक्ष बनाया जा चुका है। भाजपा के संविधान के मुताबिक, एक व्यक्ति एक ही पद पर रह सकता है।जाहिर है कि इनके स्थान पर भी नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की जानी है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि संगठन और सरकार में एक साथ फेरबदल कर लिया जाए ताकि बार-बार बदलाव न करने पड़ें।
सूत्रों के अनुसार, शाह भले ही केंद्र सरकार का हिस्सा बन गए हों लेकिन इन सारे फैसलों में उनकी राय काफी अहम रहेगी। इसलिए भी कुछ वक्त लग रहा है। इस बार प्रर्देश में भाजपा संगठन और सरकार में होने वाले बदलाव बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। इसकी एक वजह विधानसभा का आगामी चुनाव भी है।
उत्तर प्रदेश में सरकार के साथ ही सत्तासीन भाजपा संगठन में बडे बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस फेरबदल की तैयारी है। इसके चलते प्रदेश सरकार में मंत्री बनने की इच्छा रखने वाले विधायकों और विधान परिषद सदस्यों का इंतजार बढ़ने के साथ ही योगी मंत्रिमंडल से कुछ पुराने चेहरों की जगह नए चेहरे आ जाएंगे। यह भी एक कारण है कि इस बार जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या जो लोग संगठन की टीम में आएंगे उन्हीं नेतृत्व में विधानसभा का अगला चुनाव लड़ा जाना है, जो जनवरी से मार्च 2022 के बीच होगा।
उत्तर प्रदेश में 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी। तब यह यह उम्मीद जताई गई थी कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ अन्य विधायकों व विधान परिषद सदस्यों को मंत्री बनाकर क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को और दुरुस्त किया जाएगा। पर, यह इंतजार खिंचते-खिंचते लोकसभा चुनाव के पार आ पहुंचा। कई कारणों से यह फेरबदल टलता गया।
इस बीच, सरकार के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी के चलते प्रदेश सरकार से एक मंत्री ओमप्रकाश राजभर की बर्खास्तगी हो चुकी है। तीन अन्य मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी और डॉ. एसपी सिंह बघेल भी सांसद चुने जा चुके हैं। मतलब मंत्रिमंडल में अब चार जगहें और खाली हो चुकी हैं। जिनके स्थान पर नए लोगों को जिम्मेदारी मिलनी है।
इसलिए होगर योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल
इसके अलावा कुछ मंत्रियों के कामकाज को लेकर नेतृत्व के पास शिकायतें पहुंची हैं। इनमें कुछ के विभागों में फेरबदल होगा तो कुछ को नई भूमिका सौंपी जा सकती है। अच्छा काम करने वाले कुछ स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्रियों को तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री तो कुछ राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया जाना है। कुछ मंत्रियों की सांगठनिक क्षमता देखते हुए उन्हें सरकार से संगठन में भेजने का निश्चय किया जा चुका है।कुछ विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के संगठन में अच्छा काम देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर इनाम देने की तैयारी की है।
शाह और पांडेय के दिल्ली जाने से बदले समीकरण
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय के केंद्र सरकार का हिस्सा बन जाने के कारण दोनों ही जगह नए अध्यक्ष बनाए जाने हैं। प्रदेश संगठन के अन्य कुछ पदाधिकारियों को भी बोर्डों और आयोगों में अध्यक्ष बनाया जा चुका है। भाजपा के संविधान के मुताबिक, एक व्यक्ति एक ही पद पर रह सकता है।जाहिर है कि इनके स्थान पर भी नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की जानी है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार चाहते हैं कि संगठन और सरकार में एक साथ फेरबदल कर लिया जाए ताकि बार-बार बदलाव न करने पड़ें।
सूत्रों के अनुसार, शाह भले ही केंद्र सरकार का हिस्सा बन गए हों लेकिन इन सारे फैसलों में उनकी राय काफी अहम रहेगी। इसलिए भी कुछ वक्त लग रहा है। इस बार प्रर्देश में भाजपा संगठन और सरकार में होने वाले बदलाव बहुत महत्वपूर्ण हो गए हैं। इसकी एक वजह विधानसभा का आगामी चुनाव भी है।


