उज्जैन। पीएचडी में कई सालों तक मेहनत के बाद यह पता चले कि आपकी थीसिस में 96 प्रतिशत नकल है तो आपके पैरों तले जमीन खिसक सकती है। विक्रम विश्वविद्यालय में एक ऐसा ही वाकिया हुआ है। जिसमें एक शोधार्थी की थीसिस में प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर के अपडेट होने के बाद 96 प्रतिशत नकल सामने आई है। हालांकि जांच हुई तो पता चला कि एक साल पहले इसी शोधार्थी ने अपनी थीसिस की जांच प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर से करवाई थी। उसकी ही थीसिस को पहले नहीं हटाए जाने के कारण उसे नकल के रूप में सॉफ्टवेयर ने दर्शा दिया। जांच के बाद अब नकल का ग्राफ 9 प्रतिशत तक आ गया है।
विक्रम विश्वविद्यालय में प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर के माध्यम से पीएचडी थीसिस की जांच की जाती है। यह सॉफ्टवेयर अपडेट हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी की एक थीसिस में 96 प्रतिशत में से 94.78 प्रतिशत नकल कॉन्सोलिडेटेड चेप्टर की आई। पुस्तकाध्यक्ष डॉ. आरके अहिरवार के अनुसार सॉफ्टवेयर अपडेट हुआ है। अब स्पष्ट और बारीकी से जांच हो रही है।
प्लेगरिज्म सॉफ्टवेयर में इंटरनेट पर मौजूद एक समान शब्दों और पंक्तियों के कारण भी नकल का प्रतिशत बढ़ जाता है। गणित और सांख्यिकी में सूत्र एवं आंकड़ों में समानता अधिक होने के कारण आमतौर पर नकल का प्रतिशत बढ़ा हुआ आता है। इसके अलावा इतिहास से संबंधित जानकारियों में भी समानता ज्यादा मिलती है। इसमें शोधार्थी द्वारा एक शपथ पत्र एवं शोध निर्देशक का पत्र भी दिया जाता है, जो यह प्रमाणित करता है कि थीसिस की जांच कर ली गई है एवं इसमें नकल नहीं है, केवल संदर्भों का उल्लेख समाहित है। इसके बाद संबंधित संदर्भों को नकल के भाग से हटा दिया जाता है।
