इंदाैर। खाने में प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल कैंसर का एक बड़ा कारण है। वर्तमान में तेजी से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह खान-पान की आदतें है। कैंसर से बचना है तो पैक्ड जूस, नान स्टीक कुकवेयर और प्लास्टिक के बर्तनों को घर से निकाल फेंके। यह बात इंदौर में चल रही इंडियन सोसायटी फॉर ओंकोलॉजी और इंडियन सोसायटी ऑफ मेडिकल एंड पीडियाट्रिक ओंकोलॉजी की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस के दूसरे दिन शनिवार को कैंसर विशेषज्ञों ने कही।
कांफ्रेंस के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने कैंसर की बीमारी और लाेगों में जागरूकता पर जोर दिया। पदम श्री डॉ. एस. एच. आडवाणी ने बीते 38 साल से कैंसर का इलाज कर रहे डॉ. आडवाणी ने कहा कि एक बार किसी मरीज में कैंसर का पता चले तो मरीज यह मान लेता हैं कि अब बचने की कोई उम्मीद नहीं हैं लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। 80 प्रतिशत कैंसर पीड़ित बच्चे ठीक हो जाते हैं। 50 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित ठीक हो जाते हैं।
मिट्टी या लोहे के बर्तन में बनाए खाना
आरआर केट के साइंटिस्ट डॉ. अजीत उपाध्याय ने कहा कि हम नेचुरल फूड को छोड़कर डब्बा बंद फूड और ड्रिंक पी रहे है। पैक्ड जूस में बेंजोईक एसिड या सोडियम बेंजोएट होता है जो कैंसर का सबसे बडा कारण है। इन उत्पादों का उपयोग कर हम जान बुझकर मुसीबत मौल ले रहे है। ज्यादातर कंपनियां इन कंटेंट का नाम नही लिखते हुए ई-63 लिखती है। इसलिए इससे सावधान हो जाए।
इसी तरह नॉन स्टीक कुक वेयर में टेफलॉन की कोटिंग होती है। खाना बनाते समय स्क्रेच लगने से यहीं स्क्रेच खाने के साथ हमारे शरीर में चला जाता है। यह भी कैंसर का एक बड़ा कारण है। दिखावी लाईफ स्टाइल के लिए उपयोग मे आने वाले प्लास्टिक के बर्तनों को भी घर के बाहर कर दीजिए। प्लास्टिक के साथ रिएक्ट कर खाना या पानी कैंसर का कारण बन जाता है। कैंसर से बचना है तो मिट्टी या लोहे के बर्तन में खाना बनाए। फास्टफूड की बजाय घर का बना खाना खाएं।
पद्मश्री डॉ. के. एस. गोपीनाथ ने कहा कि कैंसर के मरीजों को सस्ता इलाज मिलना चाहिए। हमने देश में उन्होंने 26 क्लीनिक खोले है। चेन्नई से आए डॉ. टी. राजकुमार ने कैंसर के इलाज के लिए माल्युकल लैब की स्थापना के महत्व के बारे में बताया। पद्मश्री डॉ जे. के. सिंह ने बिहार की तर्ज पर देशभर में तंबाकू की लत छुड़ाने के लिए एडवायजरी क्लीनिक खोलने की बात कही। राजकोट से आए कैंसर विशेषज्ञ डॉ. वी.के. गुप्ता ने बताया कि बताया कि कैंसर की चार अवस्थाएं होती है। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही इसे पहचान लिया जाए तो समय पर इलाज किया जा सकता है। कुछ ही कैंसर ऐसे होते हैं जिनके लक्षण पहले सामने नहीं आते हैं।
