नई दिल्ली। तीस हजारी और साकेत कोर्ट में वकीलों के साथ झड़प और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर दिल्ली के तीन हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने मंगलवार को पुलिस मुख्यालय के सामने 11 घंटे तक प्रदर्शन किया। इससे यहां एक तरह के विद्रोह के हालात बन गए। जवान इस कदर नाराज थे कि पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक की अपील मानने से इनकार कर दिया। इस प्रदर्शन में पुलिसकर्मियों के परिजन और सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। तीन दिन तक ट्विटर और वॉट्सऐप पर ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट मैसेज वायरल हुए। इसके बाद, पुलिसकर्मी स्वत: प्रदर्शन करने पहुंच गए। दिल्ली और एनसीआर के दूसरे थानों से भी जवान ड्यूटी के बाद प्रदर्शन में शामिल हुए।
साकेत कोर्ट में विवाद के दौरान जब वकीलों ने पुलिसवालों को पीटा तो डीसीपी मोनिका भारद्वाज के साथ बदसलूकी की गई। उनके साथ मौजूद एक पुलिसकर्मी को पीटा गया। उसके एक दोस्त ने जब उसे फोन किया तो उसने अपना दर्द बयां किया। यह ऑडियो वायरल हो गया। इसी ने धरने-प्रदर्शन की जमीन तैयार की। इसके बाद साकेत कोर्ट के बाहर कुछ वकीलों ने एक पुलिसकर्मी को मारा। इसे गोवा में पोस्टेड असलम खान ने सोमवार दोपहर 2.40 बजे ट्वीट किया। इसे दिल्ली पुलिस के पूर्व प्रवक्ता और वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में डीआईजी मधुर वर्मा ने भी रिट्वीट किया और लिखा- मुझे दुख है कि हम पुलिस हैं और हम लोगों का कोई अस्तित्व नहीं है।
‘दिल्ली की जनता से निवेदन है कि 5-6 नवंबर को दिल्ली पुलिस आपकी सेवा नहीं कर पाएगी। अपना अस्तित्व बचाने के लिए 2 दिन काम पर नहीं आ पाएगी। और मैं भी उसका हिस्सा हूं। कल सुबह 9 बजे दिल्ली पुलिस के तमाम कर्मचारी पीएचक्यू में इक्कठे होंगें और पुलिस आयुक्त से मिलेंगे। ज्यादा से ज्यादा शेयर करो। करो या मरो, मैं जा रहा हूं और कौन-कौन आ रहा है? मना करने से पहले सोचना कि तीस हजारी में पिटने वालो में मैं नहीं था फिर भी मुझे दर्द क्यों हो रहा है।’ यह मैसेज सबसे ज्यादा वायरल हुआ। इसके बाद पुलिस मुख्यालय के बाहर पुलिसकर्मी एकत्रित होना शुरू हो गए।
