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महिला आरक्षण के संबंध में उच्चतम न्यायालय और राज्य शासन के निर्देशों का पालन

भोपाल।  राज्य लोक सेवा आयोग ने परीक्षा परिणाम में महिलाओं के आरक्षण की नीति के संबंध में स्थिति स्पष्ट की है। आयोग के अनुसार राजेश कुमार डारिया विरुद्ध राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं अन्य प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के निर्णय और राज्य शासन के निर्देशों के अनुरूप महिलाओं के होरिजेन्टल आरक्षण के तहत महिलाओं का न्यूनतम आरक्षण 33 प्रतिशत (प्रतिनिधित्व) सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके बाद भी यदि कोई महिला मेरिट में आती है तो उसे चयन से वंचित नहीं किया जाता है। यदि महिलाओं का कोटा पूर्ण हो गया हो तब भी मेरिट के आधार पर महिलाओं का चयन श्रेणी में पदों की उपलब्धता के अनुसार किया जाता है।

इसी नीति के अनुरूप आयोग द्वारा पूर्व में चयन परिणाम घोषित किये जाते रहे हैं। प्रत्येक चयन परिणाम की घोषणा के बाद सभी आवेदकों के प्राप्तांक और अंक सूचियों को पूरी पारदर्शिता के साथ आयोग की वेबसाइट पर तत्काल ही अपलोड किया जाता है। घोषित अंतिम चयन परिणामों पर अभी तक किसी भी महिला अथवा पुरूष अभ्यर्थी द्वारा कभी भी शिकायत नहीं की गई है कि उससे कम अंक प्राप्त अन्य पुरूष अथवा महिला अभ्यर्थी चयनित हो गया और वह स्वयं चयन से वंचित रह गये हो।

राज्य सेवा परीक्षा में पदों में चयन का एक आधार पदों के लिये आवेदक द्वारा दी गयी चयन की इच्छा (अग्रमान्यता) भी है। अर्थात यदि किसी अभ्यर्थी द्वारा किसी पद पर चयन की इच्छा (अग्रमान्यता) प्रदर्शित नहीं की गई है तो उस पद के लिये अग्रमान्यता देने वाले उससे कम अंक प्राप्त अभ्यर्थी का चयन किया गया है।

आयोग ने कहा है कि राज्य सेवा परीक्षा-2018 में आयोग द्वारा अनारक्षित महिला हेतु प्रदर्शित किया गया कट ऑफ 954 अनारक्षित श्रेणी में डिप्टी कलेक्टर पद हेतु चुनी गयी अंतिम महिला आवेदकों के प्राप्तांक है। उसके बाद भी दो महिलाएँ डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित हुई है, जिनके प्राप्तांक 946 है।

आयोग द्वारा पुरूषों का अलग से कोई भी कट ऑफ घोषित नहीं किया जाता है वस्तुत: यह कट ऑफ उस श्रेणी का ओपन (पुरूष तथा महिला) कट ऑफ है।


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