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आहार में बदलाव और प्रकृति के सानिध्य से रह सकते हैं निरोगी



भोपाल। पश्चिम का अंधानुकरण करने से खान-पान बदल गया है, जिससे कई बीमारियां अनचाहे ही घेर लेती हैं। उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारियां लाइलाज हो जाती हैं। ऐसे में आहार में बदलाव करने के साथ ही प्रकृति से सानिध्य स्थापित करके निरोगी काया पाई जा सकती है। 

यह मिले-जुले विचार राष्ट्रीय जलभूमि अधिकार परिषद द्वारा भोईपुरा में आयोजित  7 दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर के शुभारंभ पर डॉ जैनमुनि गोयल, डॉ नंदनी सिंह, डॉ. जयदीप सिंह और श्री रवानी ने व्यक्त किए। परिषद के अध्यक्ष पूर्व आईएएस वीरेंद्र कुमार बाथम ने बताया कि शिविर मे गंभीर से गंभीर बीमारी का उपचार प्राकृतिक जीवन शैली पद्धति से किया जाएगा। इसमें मधुमेह की बीमारी तीन दिन मे नियंत्रित करने, ख़राब लीवर को एक माह मे ंठीक करने, गठिया , हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल, फिस्चुला, बवासीर दस दिन मे ठीक किया जा सकता है।  इसी तरह रीढ़ की हड्डी, कमर दर्द , घुटने के दर्द , कैंसर  तथा कारोना आदि का नियंत्रण और उपचार शामिल है। 

नि:शुल्क आवास और भोजन व्यवस्था

राष्ट्रीय जलभूमि अधिकार परिषद के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार बाथम ने बताया कि शिविर का शुभारंभ मां नर्मदा की आरती के साथ हुआ। इस शिविर में भाग लेने वालों के आवास सहित भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है।

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