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संगठित और शांतिपूर्ण आंदोलन के आगे जन विरोधी सरकारों को झुकना ही पड़ेगा यह सिद्ध किया है किसान आंदोलन ने

संविधान दिवस के मौके पर किसान संगठनों और श्रम संगठनों ने की विरोध सभा व प्रदर्शन

संभागायुक्त को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर श्रम संस्थाएं बिजली बिल 2021 और किसानों मजदूरों की अन्य मांगे की पूरी करने की मांग 

इंदौर।  ट्रेड यूनियनों की संयुक्त अभियान समिति से जुड़े श्रम संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने आज संविधान दिवस के मौके पर इंदौर में विरोध सभा और प्रदर्शन किया गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रम संगठनों ने आज देश भर में प्रदर्शन का आह्वान किया था उसी के तहत इंदौर में भी यह आयोजन हुआ ।प्रदर्शन का आयोजन इंटक, एटक,  एचएमएस ,सीटू ,सेवा ,बैंक बीमा कर्मचारी संगठन,अखिल भारतीय किसान सभा,किसान सभा (अजय भवन), किसान संघर्ष समिति ,किसान खेत मजदूर संगठन, उषा आशा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता यूनियन एवं इंदौर के सभी ट्रेड यूनियन एवं किसान संगठनों ने किया। प्रदर्शन मेंबड़ी संख्या में गांधी हॉल में श्रम संगठनों के कार्यकर्ता और श्रमिक तथा किसान जुटे।  

गांधी हाल में हुई विरोध सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि 1 साल के शांतिपूर्ण किसान आंदोलन ने यह साबित किया है कि संगठित और गांधीवादी तरीके से किए गए आंदोलन को के सामने हर एक तानाशाह सरकार को झुकना ही पड़ेगा हालांकि तीनों पर सिविल की वापसी अभी अधूरी जीत है इसीलिए आंदोलन अभी जारी रहेगा मजदूरों के क्रमशः नेताओं की वापसी की लड़ाई भी अभी जारी है किसान और मजदूरों की एकजुटता ने सांप्रदायिकता को भी पराजित किया है सभा को सर्वश्री रामस्वरूप मंत्री, अरुण चौहान, रूद्रपाल यादव,    लक्ष्मी नारायण पाठक, हरिओम सूर्यवंशी,  अरविंद पोरवाल, मोहन कृष्ण शुक्ला, सोनू शर्मा,भागीरथ कछवाय,  अजीत पवार, सुभाष शर्मा, कविता सोलंकी आदि ने संबोधित किया ।सभा का संचालन कैलाश लिंबोदिया ने किया । 

सभा के बाद गांधी हॉल  से कमिश्नर कार्यालय तक जुलूस निकला तथा कमिश्नर कार्यालय पर बड़ी देर तक नारेबाजी की  ।प्रदर्शन और जुलूस का नेतृत्व सर्वश्री श्याम सुंदर यादव, रामस्वरूप मंत्री, सी एल सर्रावत,  सोहनलाल शिंदे, अरुण चौहान, कविता सोलंकी आदि ने किया ।

संभाग आयुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि कार्यकर्ता आपका ध्यान एक बार फिर केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी और मजदूर विरोधी कानून बनाने और जन विरोधी नियमों को लागू करने की ओर दिलाना चाहते हैं तथा मांग करते हैं कि आप सरकार को निर्देशित करें कि वे  अविलंब संविधान विरोधी काम छोड़कर जन हितेषी काम शुरू करें ।

देश के किसान और मजदूरों ने 26 नवंबर 2020 से सरकार के जनविरोधी कृत्यों के खिलाफ जो आंदोलन शुरू किया है उसका आज एक वर्ष पूरा हो रहा है, हालांकि सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है लेकिन किसानों की अन्य  मांगे जिसमें सभी फसलों को एमएसपी देना और अन्य मांगे शामिल है वे अभी भी हल नहीं हुई है । इसी के साथ लंबे संघर्ष के बाद हासिल 44 श्रम कानूनों को बदलकर चार श्रम संहिता  लाने का सरकार का फैसला भी अभी  वापस नहीं हुआ है ।इसी के चलते आज देश भर में किसान और मजदूर संगठन अपनी इन लंबित मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं । उसी के तहत इंदौर में भी हम यह प्रदर्शन कर रहे हैं  ज्ञापन में मांग की गई है कि प्रधानमंत्री जी की घोषणा के अनुसार तीनों कृषि कानूनों को अविलंब संसद द्वारा खारिज किया जाए ।चारो श्रम संहिता  को तत्काल समाप्त किया जाए ।बिजली संशोधन विधेयक को वापस लिया जाए ।सभी कृषि उत्पादों को एमएससी के दायरे में लाया जाए और एमएसपी से कम खरीद पर व्यापारी को जेल भेजने का प्रावधान किया जाए ।.देश की सार्वजनिक संपत्ति रेलवे ,बीएसएनएल सहित तमाम कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने का हम विरोध करते हैं और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हैं।.आयकर भुगतान के बाहर वाले परिवारों को ₹7500 की आर्थिक और खाद सहायता प्रतिमाह दी जाए।. मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार किया जाए।सभी अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा लागू की जाए.आंगनवाड़ी, आशा, मध्यान भोजन और अन्य जन हितेषी योजनाओं में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान किया जाए।.महामारी के दौरान लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं प्रदान की जाए।.राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए धनकर आदि के माध्यम से अमीरों पर कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि की जाए ।पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए असीमित केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य सरकार के करों में कमी कर मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं ।. जीवन उपयोगी वस्तुओं के बढ़ते भावों को रोकने के लिए सरकार तत्काल कदम उठाए।  

रामस्वरूप मंत्री, संयोजक

 संयुक्त किसान मोर्चा इंदौर 

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