जेल में बंद है मगरौनी उमावि में पदस्थ आरोपी शिक्षक
पहली बार असामान्य ढंग से की गई कार्रवाई, जल्द घर पर भी चल सकता है बुलडोजर
दिनेश चौधरी, शिवपुरी। जिस तरह प्रदेश व जिले में दुष्कर्मियों के खिलाफ प्रशासन द्वारा लगातार कठोर कार्रवाई की जा रही हैं, उसी क्रम में कहीं उनकी संपत्ति पर बुलडोजर चल रहे हैं तो कहीं संपत्ति को राजसात किया जा रहा है। इन सबके बीच शिवपुरी जिले में 5 साल की मासूम से छेड़खानी करने वाले कन्या उमावि मगरौनी में पदस्थ प्रयोगशाला शिक्षक दिनेश कुमार चौधरी के खिलाफ शासन और शिक्षा विभाग ने बेहद बड़ी और असामान्य कार्रवाई करते हुए उसकी नौकरी पर ही ‘बुलडोजर’ चलाते हुए घटना के महज 37 दिन के भीतर शासकीय सेवा समाप्त कर दी। आरोपी शिक्षक पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज है और वह फिलहाल करैरा उपजेल में बंद है। दुराचारियों के खिलाफ इसे बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि जल्द ही शिक्षक के मकान पर भी बुलडोजर चल सकता है। संभवत: यह मप्र में इस तरह का पहला मामला है।
26 को निलंबन, 7 दिन बाद बर्खास्त
इस मामले में कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह व जिला शिक्षा अधिकारी संजय श्रीवास्तव ने तत्परता के साथ सिलसिलेवार ढंग से कठोर कार्रवाई को अंजाम दिया है। शिक्षक पर नरवर थाने में पॉक्सो एक्ट दर्ज होने की सूचना मिलते ही 26 मार्च को डीईओ ने शिक्षक चौधरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर बीईओ कार्यालय करैरा अटैच कर दिया था। 27 मार्च को थाना प्रभारी नरवर मनीष शर्मा ने सूचना दी कि आरोपी को गिरफ्तार कर करैरा न्यायालय में पेश कर दिया गया है, जहां से उसे न्यायालय ने जेल भेज दिया है। इसके बाद बीईओ नरवर ने आरोपी शिक्षक के विरूद्ध मप्र सिविल सेवा के प्रावधानों के तहत तत्परता से कार्रवाई करने का अनुरोध किया। इस पर 27 मार्च को डीईओ ने बर्खास्तगी को लेकर नोटिस जारी किया। इसमें साफ लिखा है कि प्रकरण की परिस्थितयों में विस्तारित जांच हेतु ज्यादा समय दिया जाना जनहित एवं लोक व्यवस्था के प्रतिकूल है। ऐसे में नोटिस प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर संतोषप्रद जवाब न मिलने पर क्यों न सेवा से पृथक कर दिया जाए। इस नोटिस की तामील भी बिना वक्त गंवाए उपजेल करैरा में ही करा दी गई। इस पर कर्मचारी ने जेल के माध्यम से जवाब प्रेषित कर खुद को निर्दोष व रंजिशन फंसाने का उल्लेख किया, लेकिन जवाब समाधान कारक न पाते हुए विभाग ने शैक्षणिक संस्थान में ऐसे अपचारी कर्मचारी के बने रहने को लोकहित से परे बताया और अंतत: उसकी सेवा समाप्त कर दी। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि निलंबन अवधि किसी भी प्रयोजन हेतु कर्तव्य काल नहीं मानी जाएगी।