भोपाल। संस्कृति विभाग द्वारा हिंदी भाषा के विकास में अमूल्य योगदान के लिए दिए जाने वाले पांच राष्ट्रीय सम्मानों की घोषणा कर दी गई है। यह सम्मान दो वर्ष के लिए दिए जाएंगें। इन सम्मानों की स्थापना वर्ष 2015 में की गई है, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान, निर्मल वर्मा सम्मान, फादर कामिल बुल्के सम्मान, गुणाकर मुले सम्मान एवं और हिंदी सेवा सम्मान शामिल हैं। इन सभी सम्मानों के अंतर्गत प्रत्येक सम्मानित को एक-एक लाख रुपये की राशि, सम्मान पट्टिका एवं शाल-श्रीफल प्रदान किया जाता है। इन सम्मानों से सम्मानित होने वाली विभूतियों का चयन विभाग द्वारा गठित समिति द्वारा किया गया था।
इन प्रतिभाओं को मिलेगा सम्मान
आज घोषित पुरस्कारों में राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान वर्ष 2019 जयदीप कर्णिक दिल्ली, वर्ष 2020 संस्था ऋतम् नई दिल्ली, राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान वर्ष 2019 डा. कृष्ण कुमार बर्मिंघम, वर्ष 2020 रोहित कुमार हैप्पी न्यूजीलैंड, राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान वर्ष 2019 डा. बीरसेन जागासिंह मॉरीशस, वर्ष 2020 प्रो. हिदिकी इशिका टोकियो,राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान वर्ष 2019 पद्माकर धनंजय सराफ भोपाल, वर्ष 2020 संतोष चौबे भोपाल, राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान वर्ष 2019 डा. शीला कुमारी त्रिवेंद्रम, वर्ष 2020 सुधीर मोता भोपाल को प्रदान किया जाएगा। प्रतिवर्ष 14 सितम्बर हिंदी दिवस के अवसर पर यह पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। इस वर्ष भी यह अलंकरण 14 सितम्बर को आयोजित किया जा रहा है। इस अलंकरण में वर्ष 2018 के राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान से सम्मानित अर्चना पैन्यूली, डेनमार्क एवं वर्ष 2018 के राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान से सम्मानित आनी मांतो को भी निमंत्रित किया गया है, क्योंकि विगत अलंकरण में यह दोनों कोरोना संक्रमण की वजह से शामिल नहीं हो पाये थे।
विवाद भी उठे थे
हालांकि विभाग की ओर इन सम्मानों की घोषणा आज की गई है। लेकिन सुर्खियों में यह नाम पहले ही आ गए थे तथा चयन समिति के सदस्यों को लेकर विवाद की स्थिति भी बनी थी। विशेषकर राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान को लेकर। वर्ष 2020 के लिए इस सम्मान से सम्मानित होने वाली प्रतिभा के मातहत कार्य करने वाले व्यक्ति ही चयन समिति में था।
