Type Here to Get Search Results !

जैन परंपरा के 23 वे तीर्थंकर भगवान पारसनाथ स्वामी का निर्वाण महोत्सव मोक्ष सप्तमी पर्व धूमधाम से मनाया

बेगमगंज। संत शिरोमणि आचार्य  विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक मुनि  समता सागर , मुनि  महासागर , मुनि  निष्कंप सागर,  ऐलक श्री निश्चय सागर  महाराज के सानिध्य में प्रातःकालीन वेला में 1008 कलशों से भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का किया जलाभिषेक |  विश्वशांति एवं पर्यावरण तथा  विश्व शांति एवं पर्यावरण रक्षा हेतु  तपस्वी संतों ने भारतीय संस्कारों की श्री वृद्धि और राष्ट्र की समृद्धि के लिये धर्ममंत्रों का अपने मुखारविंद से वाचन किया एवं सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शांतिधारा संपन्न की एवं मोक्षसप्तमी के इस पर्व पर 123 किलो का निर्वाण लाड़ु चढाया तो  वही लाड़ू सजाओ प्रतियोगिता आयोजित की गयी थी जिसमें प्रथम, दितीय तथा तृतीय प्रतियोगिओं को पुरुषकार चातुर्मास कमेटी द्वारा वितरित किया गया एवं स्थानीय कलाकारों द्वारा श्री सम्मेदशिखर की रचना कर स्वर्णभद्र कूट की रचना की गयी जिसमें निर्वाण लाड़ू समर्पित कर पुण्यार्जकों ने सौभाग्य प्राप्त किया ।

इस अवसर पर आचार्य विद्यासागर सभा भवन में सम्वोधित करते हुए मुनि  समता सागर महाराज ने कहा कि आज जैन परंपरा के तेईसवें तीर्थंकर भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का निर्वाण महोत्सव है,जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवनकाल में तपश्चरण को स्वीकार करते हुए आत्म साधना के मार्ग को आगे बढाया और दिव्यज्ञान को प्राप्त किया,तथा संसार के समस्त प्राणियों को धर्म के मार्ग पर आगे बढाते हुये संदेश दिया कि कभी भी किसी से अपना बैर विरोध नहीं रखना चाहिए। उन्होंने जहाँ सत्य अहिंसा के मार्ग को प्रतिपादित किया वही दया करूणा तथा संयम के सिद्धांत को समझाते हुये समता और क्षमा का संदेश समुची मानवता को दिया मुनि श्री ने कहा कि आजका दिन साधना और अहिंसा का दिवस है उन्होंने शाकाहार और पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश देते हुए देश की अखंडता और एकता पर जोर दिया।

मुनि श्री ने कहा कि भगवान श्री पारसनाथ स्वामी ने वर्तमान झारखंड के शास्वत सिद्धभूमी तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर स्वर्ण भद्रकूट जो कि सबसे ऊंची पहाड़ी है वहा से अंतिम ध्यान करते हुए अपने संपूर्ण कर्मों का क्षय करते हुए सिद्धत्व को प्राप्त हुए एवं सिद्धालय में विराजमान हुए । इसीलिए श्रावण शुक्ला सप्तमी को मुकुट सप्तमी के रुप में मनाया जाता है। इस दिवस सैकड़ों  श्रद्धालुओं ने मुनिसंघ से उपवास तथा एकासन का नियम लिया। विशेष रुप से 100 बालिकाओं ने अपना निर्जल उपवास व्रत रखा ।।

इस अवसर पर ब्र.अनूप भैया विदिशा, संजय भैया गंज बासौदा ने श्री सम्मेदशिखर विधान संपन्न कराया एवं मुख्य श्रावक श्रेष्ठयों में..  सोधर्म इंद्र सुरेंद्र जैन वीरपुर, सनत इंद्र  अमित  जैन बसादेही, ईशान इंद्र जीतमल जैन, महेंद्र इंद्र बाबूलाल जैन घमंडी परिवार अशोकनगर, शांतिधारकर्ता प्रथम कु.निधि जैन नितिन जैन ,  द्वतीय शांतिधारा कर्ता कु बेबी दीदी, अक्षय सराफ  परिवार द्वारा सम्पन्न की धर्म प्रभावना के इस अवसर पर बाहर से पधारे हुए अतिथियों का सम्मान चातुर्मास कमेटी एवं पंचायत के पदाधिकारियों द्वारा किया गया उपसंहार में जिनवाणी की स्तुति पूर्वक सभा का समापन किया गया।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.