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सेल्फ मेडीशन की रोकथाम सबसे बड़ी समस्या, इससे बढ़ जाता है रोग

यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने चेताया

भोपाल। सेल्फ मेडीशन की आदत जिंदगी के लिए घातक है। ऐसे में जरुरी है कि आम लोगों को दवाओं की विषाक्तता के बारे में जानकारी पहुंचाई जाए। 

यह कहना है आईसीएमआर के निदेशक डॉ. राजनारायण तिवारी का, जोकि शासकीय यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी नीड आॅफ सेफ्टी मानीटरिंग आॅफ टॉक्सिक ड्रग्स यूज्ड इन यूनानी सिस्टम आॅफ मेडीसिन के उद्घाटनसत्र को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी में भोपाल कमिश्नर मालसिंह भायड़िया, यूनानी ड्रग कंट्रोलर नई दिल्ली डॉ. मोहम्मद खालिद, उपसचिव आयुष पंकज शर्मा, डॉ. मोहम्मद नसीम, प्राचार्य प्रो. महमूदा बेगम, डौ. सलीम अहमद, डॉ. अहसान अहमद, डॉ. अब्बास जैदी, डॉ. अनवर काशिफ, डॉ अल्ताफ शाह, डॉ. सुनील वाने आदि ने विचार व्यक्त किए।  

किसने क्या कहा

डॉ. मोहम्मद खालिद, यूनानी ड्रग कंट्रोलर नईदिल्ली-जनमानस में और किसी हद तक यूनानी चिकित्सकों में पाया जाने वाला यह अहसास गलत है की यूनानी दवाओं में विषाक्त प्रभाव नहीं होता। वास्तविकता यह है यूनानी की गुणवत्ता और उनके रख रखाओ के सिद्धांतों की अनदेखी की जाए तो उसके न सिर्फ विपरीत प्रभाव का खतरा है, बल्कि रोग भी बढ़ाती हैं। 

मालसिंह भायड़िया, कमिश्नर, भोपाल संभाग-प्रयास यह होना चाहिए की रोगों के उपचार के लिए दवाइयाँ मरीजों को कम से कम दी जाएं। यह भी एक तरीका है जिससे हम रोगियों को दवाओं के विषाक्त प्रभाव से बचा सकते हैं।

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