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यूनानी दवाओं को उनकी उचित मात्रा में प्रयोग करने तथा उनकी गुणवत्ता को बढ़ाने पर ज़ोर दिया

यूनानी दवाओं को शुगर फ्री टेबलेट कैप्सूल एवं अन्य प्रकार से विकसित करने पर बल।

भोपाल। आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य एवं आयुष विभाग म.प्र. शासन के संरक्षण में नीड ऑफ़ सेफ्टी मॉनिटरिंग ऑफ़ टॉक्सिक ड्रग्स यूज़्ड इन यूनानी सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन्स विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज हकीम सैय्यद ज़िआउल हसन यूनानी महाविद्यालय में समापन हुआ। दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. पी.सी. शर्मा, उप संचालक, संचालनालय आयुष मध्यप्रदेश, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष फार्माकोलॉजी विभाग, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल तथा प्रसिद्ध यूनानी कम्पनी देहलवी रेमेडीज के सी.ई.ओ. मोहसिन देहलवी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हकीम सैय्यद ज़िआउल हसन यूनानी महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. मेहमूदा बेगम ने की तथा आयोजन समिति के सचिव डॉ. मोहम्मद नसीम ख़ान ने अतिथियों का स्वागत किया, कार्यक्रम का संचालन डॉ. एहसान अहमद ने किया। डॉ. सादिक़ हुसैन ने सभी आये हुए प्रतिभागियों के प्रति अपना आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में हमदर्द विश्वविद्यालय के प्रो. सईद अहमद साहब ने यूनानी दवाओं को उनकी उचित मात्रा में प्रयोग करने तथा उनकी गुणवत्ता को बढ़ाने पर ज़ोर दिया। असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर (यूनानी) दिल्ली सरकार डॉ. मोहम्मद ख़ालिद ने यूनानी दवाओं से संबंधित विभिन्न प्रकार के एक्ट्स पर प्रकाश डाला। दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च, दिल्ली से आए डॉ. गौरव जैन एवं डॉ. देवेष तिवारी ने यूनानी दवाओं को शुगर फ्री टेबलेट कैप्सूल एवं अन्य प्रकार से विकसित करने, हर्बल दवाओं की निम्न गुणवत्ता के कारण उनकी प्रभावशीलता कम होने तथा अनचाहे विषैले प्रभावों के उत्पन्न होने के खतरों से अवगत कराया। हमदर्द विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर हिफजुल कबीर ने यूनानी पद्धति में प्रयोग होने वाली कुछ विषैले असर रखने वाली जड़ी बूटियों को डिटॉक्सीफाई करने पर बल दिया। अजमल ख़ा यूनानी कॉलेज अलीगढ़ के डॉ. अब्दुल रऊफ़ ने अपने व्याख्यान में यूनानी दवाओं का वर्गीकरण उनके मिज़ाज के अनुसार विस्तृत रूप से वर्णित किया। गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के फार्माकोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने यूनानी चिकित्सा पद्धति में शोध कार्य को बढ़ावा देने पर ज़ोर डाला तथा देहलवी रेमेडीज के सी.ई.ओ. मोहसिन देहलवी ने यूनानी दवा कम्पनियों से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इसके पूर्व कल पहले सत्र के दौरान प्रोफेसर सईद अहमद, निर्देशक, यूनानी चिकित्सा उत्कृष्टता केंद्र, जामिया हमदर्द, नई दिल्ली ने अपने विशेष उद्बोधन में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली कई दवाओं की सुरक्षा निगरानी की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि यूनानी साहित्य के अनुसार जहरीली दवाओं के रूप में 4 श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। डॉक्टर सईद ने ज़ोर डालते हुए हितधारकों से आग्रह किया कि वे कुछ रणनीतियों पर काम करें ताकि उनकी सुरक्षित करीबी सीमा का पता लगाने के लिए उल्लिखित जहरीली दवाओं पर शोध किया जा सके। साथ ही खुराक को न्यूनतम जहरीली खुराक के साथ-साथ विस्तृत प्रीक्लिनिकल अध्ययन किया जा सके, क्योंकि ये आवश्यक दवा की सूची में हैं। आज समापन अवसर पर स्थानीय महाविद्यालय के प्रो. मोहम्मद अनज़र हुसैन, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. इफ़्तेख़ार अहमद, आयोजन समिति के सह सचिव एवं विभिन्न राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित डॉ. एस. एम. अब्बास ज़ैदी, कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर डॉ. सादिक़ हुसैन एवं डॉ. शमसुल इस्लाम, डॉ. इरशाद अहमद, डॉ. दिलशाद अली एवं महाविद्यालय के अन्य स्टाफ उपस्थित रहे और अपने अपने दायित्वों का निर्वहन किया।


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