Type Here to Get Search Results !

1969 में रजिस्टर्ड हुए मप्र मंत्रालयीन कर्मचारी संघ का पंजीयन समाप्त

वैध मतदाता सूची पेश नहीं होने पर रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी का फैसला

सुभाष वर्मा और सुधीर नायक के बीच की लड़ाई में कर्मचारियों का अहित

भोपाल। मध्यप्रदेश मंत्रालयीन कर्मचारी संघ का पंजीयन रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी ने वैध मतदाता सूची पेश नहीं हो पाने पर निरस्त कर दिया है। इसके विरोध में सुभाष वर्मा ने कहा है कि अपील दायर करेंगे। वहीं सुधीर नायक ने पंजीयन समाप्ति को आघात बताते हुए कर्मचारी प्रतिरोध की समाप्ति बताया है। 

दरअसल 1969 में पंजीकृत संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले ही सुधीर नायक ने इस्तीफा देकर आशीष सोनी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाते हुए चुनाव की तैयारी शुरू करवाई थी। इसके लिए संतोष ठाकुर को निर्वाचन अधिकारी घोषित किया था। वहीं सुभाष वर्मा ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश की, जिससे चुनाव की नौबत आ गई। इसी बीच मतदाता सूची में बाहरी नाम जुड़ने के मुद्दे पर विवाद होने के बाद नायक गुट ने निर्वाचन अधिकारी को हटाकर भारत सिंह को नया निर्वाचन अधिकारी बना दिया, जबकि इससे पहले ही संतोष ठाकुर ने घोषित निर्वाचन कार्यक्रम के अनुसार चुनाव करवाए। इसमें एकतरफा सुभाष वर्मा पैनल की जीत हुई। वहीं नायक गुट ने भी चुनाव करवाए और आशीष सोनी अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद विवाद रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी के समक्ष पहुंचा, जहां पर दोनों पक्षों के बयान हुए। इसमें सुभाष वर्मा ने बताया कि दस्तावेज पूर्व अध्यक्ष नायक के पास हैं, जो उनको नहीं दिए गए। वहीं नायक ने बताया कि संघ के दस्तावेज कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार पटेल के पास हैं। ऐसे में मतदाता सूची एवं अन्य दस्तावेज रजिस्ट्रार के सामने पेश नही होने पर संघ का पंजीयन निरस्त किया गया। 

रजिस्ट्रार के फैसले में खामियां

रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी आलोक नागर के फैसले में कई खामियां हैं। रजिस्ट्रार ने बैध मतदाता सूची सहित अन्य दस्तावेज मुहैया नहीं करवाने के लिए सुभाष वर्मा को ही जिम्मेदार माना है। जबकि, सुधीर नायक ने अपने बयानों में स्वीकार किया था कि दस्तावेज संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार पटेल के पास है। ऐसे में रजिस्ट्रार के सामने साफ हो चुका था कि दस्तावेज किसके पास हैं। इसके अलावा सुभाष वर्मा का निर्वाचन सुधीर नायक के द्वारा नियुक्त निर्वाचन अधिकारी संतोष ठाकुर ने ही करवाए थे, जिसमें नायक गुट ने भाग नहीं लिया और एक नया निर्वाचन अधिकारी बनाकर कार्यकारी अध्यक्ष आशीष सोनी को अध्यक्ष चुना गया। इसमें भी सुभाष वर्मा की आपत्ति थी कि कार्यकारी अध्यक्ष का कोई प्रावधान नहीं है, बल्कि नए चुनाव के द्वारा ही नया अध्यक्ष निर्वाचित होता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.