इंदौर। स्वच्छता के साथ मानव अंग दान के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट उदाहरण बन चुके इंदौर में सोमवार को फिर तीन ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक ब्रेन डेड व्यक्ति का दिल, किडनी और अन्य अंग सफल रूप से परिवहन किये गए। इसी क्रम में इंदौर से विशेष विमान से पुणे भेजा गया दिल भारतीय सेना के एक जवान के जीवन में रक्त का संचार करेगा। यह दिल सोमवार सुबह करीब 8.50 बजे जुपिटर विशेष अस्पताल से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इंदौर एयरपोर्ट भेजा गया। दिल लेने के लिए कार्डियक सर्जन और सेना के कर्नल डॉ. सौरभ सिंह का नेतृत्व और उनकी टीम के आठ सदस्य पहले से उपस्थित थे। दूसरा ग्रीन कॉरिडोर सोमवार सुबह 9.50 बजे जुपिटर अस्पताल से चोइथराम अस्पताल के बीच तथा तीसरा ग्रीन कॉरिडोर बाम्बे अस्पताल के लिए बनाया गया। इस वर्ष जनवरी में यह तीसरा मौका है जब ग्रीन कॉरिडोर बनाकर किसी ब्रेन डेथ व्यक्ति के अंग प्रत्यारोपण के लिए भेजे गए। ग्रीन कॉरिडोर बनाने में स्थानीय ट्रैफिक पुलिस, सीआईएसएफ एवं एयरपोर्ट अथारिटी ने आपसी समन्वय किया। यातायात पुलिस के 150 पुलिसकर्मियों ने ग्रीन कॉरिडोर के दौरान यातायात व्यवस्था संभाली।
34 वर्षीय प्रदीप ने कई जिंदगियों को किया रोशन
उज्जैन के शुभम पैलेस निवासी 34 वर्षीय प्रदीप आसवानी बीती 20 जनवरी को मध्य रात्रि में हुई एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें पहले उज्जैन के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके बाद इंदौर के जुपिटर विशेष अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। यहां लगभग एक सप्ताह चले उपचार के बाद 28 जनवरी को रात्रि 11.55 बजे उन्हें ब्रैन डेड घोषित किया गया था। परिवार से अनुमति मिलने के बाद एमजीएम मेडिकल कालेज के डीन और इंदौर सोसायटी फार आर्गन डोनेशन ने अंगदान की तैयारी शुरू की थी।
30 दिनों में तीसरी बार अंगदान
इंदौर सोसाइटी फॉर आर्गन डोनेशन के गठन के बाद यह 48वां मौका है जब ग्रीन कॉरिडोर बनाकर किसी ब्रेन डेथ व्यक्ति के अंग प्रत्यारोपण के लिए भेजे गए हैं। इस वर्ष जनवरी में यह तीसरा मौका है जब किसी ब्रेन डेथ व्यक्ति के अंग दान किए गए हैं। इस माह में इसके पहले विनीता जी खजांची और चंद्रभूषण सिंह के अंगदान हो चुके हैं। जनवरी में अब तक 70 नेत्रदान (140 कार्निया), 10 त्वचा दान और तीन देहदान भी इंदौर में हो चुके हैं।

