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एसीएस ने शुरू करवाई जान से मारने की धमकी की जांच, दर्ज हुए बयान

मंत्रालय कर्मचारी संघ के जीपी सिंह का आरोप: सुधीर नायक ने दी धमकी

भोपाल। मंत्रालय कर्मचारी संघ के कार्यकारिणी सदस्य जीपी सिंह को राज्य मंत्रालय स्थित उनके की कक्ष में जाकर संघ के पूर्व अध्यक्ष सुधीर नायक द्वारा धमकाने की जांच अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विनोद सिंह के निर्देश पर अपर सचिव आशीष कुमार ने शुरू कर दी है। इसके तहत कर्मचारियों के बयान भी दर्ज होना शुरू हो गए हैं। 

दरअसल जलसंसाधन विभाग में कार्यरत जीपी सिंह ने लिखित शिकायत की थी कि  17 जनवरी को एनेक्सी-3 स्थित उनके कक्ष में शराब के नशे में सुधीर नायक अपने बेटे विधान नायक और साथियों के साथ पहुंचे और अभद्रता करके जान से मारने की धमकी दी। इसके पूर्व इसी मंजिल पर काफी देर तक हंगामा भी किया गया। इसके पूर्व टीपी पांडे, सहायक गे्रड-2 सहकारिता विभाग से भी 27 दिसंबर को उनकी सीट पर ही अभद्रता की गई थी। साथ ही उनको मारने की धमकी दी गई थी। इसी पर एसीएस जीएडी के निर्देश पर अपर सचिव आशीष सिंह को इस मामले की तीन दिन में जांच पूरी करने के निर्देश जारी हो गए हैं। इसके बाद प्रत्यक्षदर्शी कर्मचारियों के बयान दर्ज होना शुरू हो गए हैं, जिसके तहत तीन कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए हैं। वहीं सुधीर नायक ने भी आरोपों को गलत बताते हुए बयान दर्ज करवाने के लिए समय मांगा था। इस पर 24 जनवरी को नायक एवं साथियों के बयान दर्ज होंगे। 

पूर्व में की थी पुलिस में शिकायत

इससे पूर्व जीपी सिंह ने लिखित शिकायत की थी कि 29 दिसंबर 22 को सेकंड स्टाप स्थित सुभाष वर्मा के शासकीय निवास के नीचे रात में आटो से सुधीर नायक आए और जान से मारने की धमकी देते कहा कि, तेरी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसकी शिकायत थाना हबीबगंज सहित वरिष्ठ अधिकारियों को की जा चुकी है। 

विवाद के पीछे संघ अध्यक्ष की कुर्सी

सूत्रों का दावा है कि मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सुधीर नायक ने आशीष सोनी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनवाया था, लेकिन संघ के बायलाज में कार्यवाहक अध्यक्ष का कोई पद ही नही है। दूसरी ओर, सुभाष वर्मा ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी करते हुए चुनाव की पेशकश की थी। तब नायक द्वारा ही नियुक्त चुनाव अधिकारी संतोष ठाकुर ने चुनाव करवाया था, लेकिन नायक गुट ने निर्वाचन में भाग नहीं लिया था। तब निर्वाचन अधिकारी ने सुभाष वर्मा पैनल को नियमानुसार विजेता घोषित कर दिया। इसका नायक गुट ने विरोध किया और नया चुनाव अधिकारी भगवान सिंह यादव को बनाकर चुनाव करवाए, जिसमें आशीष सोनी अपनी पैनल सहित विजय घोषित किए गए। 

रजिस्ट्रार के सामने लिखित जवाब में बदलाव

सुभाष वर्मा ने रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी के सामने धारा 27 और 28 की जानकारी पेश करते हुए आशीष सोनी को भी प्रतिवादी बनाया। रजिस्ट्रार ने सुभाष वर्मा से संघ का पुराना रिकॉर्ड मांगा, जिस पर वर्मा का जवाब था कि पूर्व अध्यक्ष नायक के पास है, जिन्होंने सौंपा नही है। इस पर नायक की ओर से जवाब आया कि कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार पटेल के पास है। इसके बाद फिर से लिखित जवाब दिया गया कि पूर्व सचिव रहे सुभाष वर्मा ही पूर्व में रिकॉर्ड ले गए थे। इसके बाद तीसरी बार लिखित जवाब आया कि संघ का रिकॉर्ड संघ कार्यालय में होगा। इसके बाद भी रजिस्ट्रार ने सुभाष वर्मा द्वारा रिकॉर्ड पेश नहीं करने पर संघ की मान्यता ही खत्म कर दी। इस फैसले के विरोध में सुभाष वर्मा का कहना है कि अपील करने जा रहे हैं, जिसमें आपराधिक कार्रवाई की मांग भी करेंगे।

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