बेगमगंज। तहसील में बीते चार दिन से मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। यहां बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का दौर चौथे दिन भी जारी रहा। सोमवार को सुनवाहा, गुलबाड़ा, गोरखी, पिपलिया खुर्द, बख्शी खमरिया कला, बील खेड़ा, बिछुआ जागीर समेत अन्य ग्रामों में शाम करीब चार बजे अचानक मौसम बदला और बारिश होने लगी। और बेर के आकार के ओले गिरने से मोतियों जैसी चादर पूरे में फैली नजर आने से किसानो को अपनी आंखों के सामने मेहनत पर पानी फिरता देख आंखों से आंसू टपकने लगे। शहर में भी रविवार की रात में तेज बारिश हुई थी और देर तक पानी बरसता रहा। बेमौसम की इस बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। बीते चार दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बड़े पैमान पर नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार ने फसलों के नुकसान का सर्वे कराने का निर्देश दिया है। सर्वे शुरू भी हो गया है, लेकिन अभी कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है।
तहसील में 26 ग्रामों में ओलावृष्टि की जानकारी मिलने पर वहां पर सर्वे कराया गया है। किसानों ने बताया कि कर्ज लेकर खेती की थी। चने और गेंहू की फसल पकी हुई है। कटाई करने ही वाले थे। ऐसे ही बारिश और ओलावृष्टि होती रही तो फसलें पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगी अभी भी 50 फीसद से अधिक गेहूं की बालियां और चने की घेंटियां झड़ गई हैं।
प्रत्येक दिन हो रही तेज बारिश और ओलावृष्टि से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खून पसीने की मेहनत को एक ही झटके में बर्बाद होता देख किसानों की आंखों में बार-बार आंसुओं की झड़ी लग रही है। शुक्रवार को ही ओलावृष्टि से फसलों को पहुंचे नुकसान के बाद बाकी बची फसल को किसानों ने संभालने और बचाने के काफी यत्न किए थे। इससे अभी तक किसान उबरा भी नहीं था कि सोमवार को बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसान की रही सही बाकी फसल भी बर्बाद हो गई है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा ओले पड़े है।
![]() |
ओलावृष्टि सोमवार को |
इससे खेतों में पकने को तैयार खड़ी गेहूं, सरसों की फसलों से बालियां झड़ गईं और ओलावृष्टि के साथ चली तेज हवाओं से खड़ी फसल नीचे जमीन पर गिर गई है। वहीं खुदाई के लिए तैयार आलू की फसल भी इससे प्रभावित है।
इस संबंध में तहसीलदार एन एस परमार का कहना है कि 3 दिन में जो जानकारी एकत्रित हुई थी वह 26 ग्रामों में ओलावृष्टि भी हुई थी जांच समिति में बराबर सर्वे कर रही हैं आज फिर से ओलावृष्टि की जानकारी प्राप्त हुई है।