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पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया भोपाल चैप्टर के तत्वावधान में कार्यक्रम "पर्वतारोहण - साहस की कहानी" आयोजित

अंतर्राष्ट्रीय माउंटेनियर ज्योति रात्रे ने साझा किए अपने अनुभव

भोपाल।  इस दुनिया में कोई भी ऐसा काम नही है जो किसी के लिए असंभव हो। अगर हम उस काम को दृढ़ निश्चय और पूरी इच्छा शक्ति से पूरा करने की कोशिश करे तो निश्चित ही कामयाबी कदम चूमती है। कुछ कर गुजरने वालों के लिए उम्र तो सिर्फ एक नंबर है। यह बात राजधानी भोपाल की अंतर्राष्ट्रीय माउंटेनियर ज्योति रात्रे ने पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया भोपाल चैप्टर के तत्वावधान में रविवार को 9 मसाला रेस्टोरेंट भोपाल में आयोजित "पर्वतारोहण - साहस की कहानी" कार्यक्रम के दौरान कही। इस अवसर पर पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया भोपाल चैप्टर के अध्यक्ष श्री मनोज द्विवेदी, नेशनल काउंसिल मेंबर श्री विजय बोंद्रिया, उपाध्यक्ष श्री अविनाश वाजपई, सचिव पंकज मिश्रा सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे। 

राजधानी भोपाल की ज्योति रात्रे 31 मार्च 2023 को माउंट एवेरेस्ट अभियान के लिए काठमांडू को रवाना होकर 58 दिवस के पश्चात 29 मई 2023 को भोपाल वापस लौटी हैं। ज्योति रात्रे माउंट एवेरेस्ट शिखर पर कैम्प 4 के आगे लगभग 8200 मीटर (26900 फीट) तक की चढ़ायी पूर्ण कर चुकी थी एवं माउंट एवरेस्ट शिखर जो की  8848 मीटर ऊँचा है, मात्र 650 मीटर शेष रह गया था, तभी अचानक मौसम अचानक ख़राब हो जाने से उन्हें वापस लौटने का कठिन निर्णय लेना पड़ा । ज्योति रात्रे के अनुसार अभी तक उनसे अधिक उम्र की कोई भारतीय महिला इस ऊँचायी तक पहुँच नहीं सकी है। ज्योति रात्रे विगत वर्षों में करोड़ों भारतीयों के लिए एक प्रेरणा के रूप में उभरी हैं। ज्योति रात्रे ने 48 वर्ष की उम्र में पर्वतारोहण प्रारम्भ कर के अल्प समय में अनेक सफलताएँ प्राप्त की हैं और यह साबित कर दिया है कि सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती है। यदि किसी लक्ष्य को पाने की ज़िद है हो तो कड़ी मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से सब कुछ सम्भव है। 

गौरतलब है की ज्योति रात्रे 54 वर्ष की हैं एवं विश्व के सात महाद्वीपों में से तीन यूरोप, अफ़्रीका, एवं दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊँचें  पर्वत शिखरों क्रमशः माउंट एलब्रुस 5642 मीटर, माउंट किलिमांजारो 5895 मीटर एवं माउंट अक्कोंकगुआ 6961 मीटर पर सफलता पूर्वक फ़तह कर चुकी है। इस वर्ष के माउंट एवेरेस्ट अभियान में इस वर्ष मौसम के ख़राब होने से काफ़ी कम परवर्तारोहि अपने अभियान में सफल हो सके हैं। ज्योति रात्रे जब कैम्प 4 से माउंट एवेरेस्ट समिट के लिए 22 मई को शाम 4 बजे निकली तो चढ़ायी करने के बाद अचानक बादलों के आ जाने से चारों ओर सफ़ेदी छा गयी, ऐसे में आगे बढ़ना  असम्भव हो जाने से उनके शेरपा द्वारा उन्हें वापस कैम्प 4 में लाया गया। तभी शेरपा को जानकारी मिली की उनकी टीम के  एक अन्य सदस्य जो 22 तारीख़ को  दिन में समिट कर चुके हैं एवं गुम हो गए हैं, तब ज्योति रात्रे जी ने स्वयं कैम्प 4 पर रुकते हुए अपने शेरपा को उन्हें ढूँढ कर लाने  एवं  उनका रेस्क्यू करने के लिए कहा । उनके इस निस्वार्थ निर्णय से उस सदस्य की जान बच सकी और वे काठमांडू अस्पताल में भर्ती हैं तथा अब ख़तरे से बाहर हैं। ऐसे कठिन समय में स्वयं ख़तरा मोल लेकर दूसरे की जान बचाने के लिए लिया गया उनका यह बहादुरी पूर्ण निर्णय मानवीय संवेदना की अभूतपूर्व मिसाल है।

ज्योति रात्रे ने पत्रकार वार्ता के दौरान अपने अभियान को पूरा करने के लिए किए गए प्रशिक्षण के बारे में बताते हुए कहा की जब उन्होंने  माउंट एवेरेस्ट फ़तह करने का सपना देखा तब उन्होंने पर्वतारोहन का प्रशिक्षण देने वाले संस्थानो के बारे में जानकारी जुटायी। उन्होंने बताया की भारत में कुल 10 पर्वतारोहण सस्थान हैं। जिनसे ईमेल एवं दूरभाष के माध्यम से सम्पर्क किया लेकिन कोई भी संस्थान 40 वर्ष की उम्र के बाद पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देने तैयार नहीं हुआ लेकिन फिर भी वह निराश नहीं हुई। उन्होंने स्वयं अपने आप से इसकी तैयारी करने का फ़ैसला किया और पर्वतारोहण के सम्बंध में इंटर नेट के माध्यम से जानकारी हासिल की। इस क्षेत्र से जुड़ें अनेकों लोगों से दूरभाष पर बात की। उनसे इसमें आने वाली कठिनाइयों के बारे में पता किया। भोपाल में एवेरेस्ट विजय कर चुके श्री भगवान सिंह जी, मेघा परमार जी एवं भावना डेहरिया जी से मिली एवं अहम जानकारी हासिल की। प्रारम्भ में  फ़िटनेस एक आम महिला के समान पर भी अपनी फ़िटनेस एवं एंडुरन्स बढ़ाने के लिए रनिंग, साइक्लिंग एवं जिम जाना प्रारम्भ किया। फिर भोपाल के फ़िटनेस रन्निंग एवं साइक्लिंग ग्रूप “The New Golfers” से जुड़ी। इस ग्रूप से उन्हें अपनी फ़िटनेस बढ़ाने के लिए काफ़ी प्रेरणा एवं सहयोग मिला एवं श्री भगवान सिंह जी ने शारीरिक क्षमता बढ़ाने में काफ़ी सहयोग किया। फिर एक एक करके ऐसे पर्वतों को चुना जिससे अपनी शारीरिक क्षमता का भी पता चले एवं ट्रेनिंग भी हो सके। यह सब कुछ उन्होंने अपने नियमित काम काज एवं व्यवसाय के साथ साथ किया।  उन्होंने स्वयं अपने लिए एक जैकेट बनायी जिसका वजन आयरन डस्ट के पैकेट्स से 10 किलो तक बढ़ाया जा सकता है। इसे पहन कर तथा पैरों में एक से दो किलो तक के weight cuff बांध कर घंटो घर एवं गार्डन का सारा काम करती थी। जिससे शरीर इतने वजन के साथ चलने के लिये प्रशिक्षित हुआ। इस बीच कोविड महामारी का आगमन हुआ। सब कुछ बंद हो गया।मेरा व्यवसाय भी  बंद हो गया लेकिन इसे एक अवसर के रूप में लिया। उन्हें अपने प्रशिक्षण के लिए काफ़ी समय मिलने लगा और घर पर ही दौड़ एवं अन्य व्यायाम से शारीरिक़ क्षमा में काफ़ी वृद्धि की। कोविद के दौरान ही उन्होंने अक्तूबर 2020 में माउंट देव टिब्बा एवं जुलाई 2021 में  माउंट एलब्रुस को फ़तह करने में सफलता प्राप्त की एवं इसके पश्चात कई सफलताएँ हासिल की। 

उपलब्धियाँ -

  • 1.  पिन पार्वती पास ट्रेक ऊँचायी 5350 मी  जुलाई 2018 में 
  • 2.  माउंट देवटिब्बा पीक ऊँचायी 6001 मी  अक्तूबर 2020 में।
  • 3.  माउंट एलब्रुस (यूरोप की सबसे ऊँची पर्वत चोटी) ऊँचायी 5642 मी जुलाई 2021 
  • 4. माउंट किलिमंज़ारो (अफ़्रीका की सबसे ऊँची चोटी) ऊँचायी 5895 मी 15 अगस्त 2022 
  • 5. एवेरेस्ट बेस केम्प विंटर ट्रेक ऊँचायी 5364 मी 26 जनवरी 2022
  • 6. माउंट अक्कोंकगुआ (दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊँची पर्वत चोटी) ऊँचायी ६९६२ मी ३ जनवरी २०२३
  • 7.  आइलैंड पीक  6100 मीटर 17 अप्रैल  2023
  • 8.    माउंट एवेरेस्ट (दुनिया की सबसे ऊँची चोटी, ऊँचायी 8848 मीटर) पर 8200 मीटर तक चढ़ने में सफलता 22 मई    2023 । -  समिट के लिए जाते समय जब मैं कैम्प 4 से आगे 200 मीटर की चढ़ाई कर चुकी थी तभी अचानक चारो ओर सफ़ेद बादल छा जाने एवं बर्फ़ीला तूफ़ान प्रारंभ हो जाने से वापस कैम्प 4 पर लौटने का निर्णय लेना पड़ा । 

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