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बेगमगंज का नाम बदलने के प्रस्ताव पर चार पार्षदों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बैठक का किया बहिष्कार

बेगमगंज। नगर पालिका परिषद द्वारा पार्षदों का सम्मेलन 9 बिंदुओं को लेकर आयोजित किया गया जिसमें नियम विरुद्ध सम्मेलन आयोजित करने का आरोप लगाते हुए एक दिन पहले ही चार पार्षदों ने एसडीएम एवं कलेक्टर को तथा सीएमओ का आवेदन देकर आपत्ति दर्ज कराई थी। की सम्मेलन की सूचना तीन दिन पूर्व दी जाना चाहिए जो नहीं दी गई इसलिए यह बैठक नियम विरोध है हमें बिंदुओं पर तैयारी करने का मौका नहीं दिया गया।

16 मार्च को जब बैठक आहूत हुई तब भी चार पार्षदों द्वारा लिखित आपत्ति दर्ज कराते हुए बेगमगंज का नाम सियावास करने पर बैठक का बहिष्कार करते हुए नियम विरोध बैठक बुलाने और तथ्यहीन आधार पर नाम बदलने का आरोप लगाते हुए बताया की बेगमगंज का पुराना नाम सेवास था सियावास कभी नहीं रहा यह राजस्व रिकार्ड में मौजूद है। किसी भी क्षेत्र का नाम विकृत होकर बदल सकता है । लेकिन सरकारी रिकार्ड में तो सही दर्ज होता है जिसका प्रमाण है सन 1905 का गजट जिसे सीई लार्ड कैप्टिन सुपरटंडेट आफ गजेटर इन सेंट्रल इंडिया ने सन 1907 में अपने हस्ताक्षर से उक्त गजट को छापने की अनुमति दी जिसके पेज नं. 122 पर सेवांस तहसील का हवाला दिया गया है। व सन 1979 का गजट जो रायसेन जिले का है एसडी गुरू स्टेट एडीटर व एक समिति द्वारा इसका अनुमोदन 1 फरवरी 1979 को किया गया जिसके पेज नं. 340 पर भी बेगमगंज व सेवांस का उल्लेख है। साथ ही उक्त पार्षदों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ हिंदूवादी संगठनों द्वारा लोगों को भ्रर्मित करके यह बताया गया है कि माता सीता यहां आकर रुकी थी इसलिए इसका नाम सियावास रखा जाने की मांग इस आधार पर करते रहे हैं। तो उन्होंने बताया कि 12वीं शताब्दी में बेगमगंज की स्थापना आल्हा ऊदल के कार्यकाल में उनकी भांजी द्वारा की गई थी जबकि श्री राम सीता 12वीं शताब्दी से सैकड़ो वर्ष पूर्व इस धरती पर आए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकार श्री रामपथ वन गमन बना रही है यदि वे यहां आए होते तो श्री राम पथ वन गमन में बेगमगंज भी शामिल होता इससे स्पष्ट है कि जो कहानी बताई जा रही है वह निराधार है आल्हा ऊदल की भांजी ने 12वीं शताब्दी में सेवास नाम से शहर की स्थापना की थी ब्रिटिश और मुगल साम्राज्य के गजट नोटिफिकेशन में भी इसका जिक्र किया गया है। नवाबी शासनकाल में इसे बेगमगंज किया गया धार्मिक आधार पर नाम बदलना संविधान के विरुद्ध बताते हुए उन्होंने लिखित आपत्ति दर्ज की है जबकि नगर पालिका द्वारा परिषद की बैठक में उपस्थित पार्षदों की सहमति से बेगमगंज का नाम परिवर्तन करने का प्रस्ताव पास किया गया है।

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