भोपाल। आकाशवाणी भोपाल के रिक्रिएशन क्लब द्वारा कार्यालय परिसर में होली सेलिब्रेशन का आयोजन किया गया। आकाशवाणी प्रांगण में हुए रंगा रंग कार्यक्रम होली की हुड़दंग मे हास्य कवि सम्मेलन ,लोकगीत एवम लोकनृत्यों के बीच क्लब के सदस्यों व स्टाफ ने होली मनाई। उत्सव के आरंभ में क्लब के अध्यक्ष एवं आकाशवाणी भोपाल के केंद्र प्रमुख श्री यशवंत चिवंडे, कार्यक्रम प्रमुख श्री राजेश भट, उपनिदेशक श्री राजेश वंजानी के साथ आमन्त्रित कलाकारों, कवियों ने दीप प्रज्वलन किया. तत्पश्चात एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्यों द्वारा अबीर गुलाल एवम पुष्प मालाओं से अतिथिगण का स्वागत किया गया। आकाशवाणी के सुरम्य वातावरण में सबसे पहले हास्य व्यंग्य से भरपूर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें आरंभ से अंत तक हँसी ठहाके गूंजते रहे। कवि सम्मेलन में सर्वश्री धूमकेतु,कौशल सक्सेना ,दीपक दनादन, श्रीमति सीमा शिवहरे, सुधा दुबे ने अपने हास्य व्यंग बाणों से पूरे माहौल को इन्द्र धनुषी रंगों से सराबोर कर दिया।
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे हास्य कवि और गीतकार धर्मेंद्र सोलंकी ने पढ़ा "होली है तो यार दिल वाली पिचकारियों में मसखरी वाले सब रंग घोल लीजिये पड़ोसी भले ही हाय हाय कर सर पीटे पड़ोसन से प्यार भरा हाय बोल लीजिये" हास्य की दनादन कविता पढ़ते हुए कवि दीपक दनादन ने कहा "जब थे हम कंवारे तब भी आदमी थे फालतू जबसे हुई शादी हुए शादीशुदा पालतू जबसे हुए कवि तबसे लोग बोलने लगे हैं आल तू जलाल तू और आई बला को टाल तू" रायसेन से आये वरिष्ठ कवि कौशल सक्सेना ने हास्य में देशभक्ति का रंग घोलकर उपस्थित श्रोताओं को भावुक भी कर दिया. उन्होंने पढ़ा "होली के हुड़दंग में, इतना रखना ख्याल,भाभी हरी हो जाएं पर, भैया ना हों लाल। होली पर बच जाए गर, थोड़ा रंग गुलाल। बड़े जतन से भेजना सरहद पर हैं लाल ।।"
वरिष्ठ कवि धूमकेतु जी जहाँ कवियों की सरकार कविता से गुदगुड़ाया वहीँ सुधा दुबे ने होली की हुडदंग में पति के भांग खाने के बाद उनकी हालत का वर्णन करके सभी को खूब हंसाया. युवा कवियित्री सीमा शिवहरे ने मच्छरों के व्यथा सुनाते हुए खूब मनोरंजन किया. सीमा ने कहा
"आज फिर मारा गया है मुझे
थप्पड़ बिल्कुल खंजर की तरह।
स्वच्छ भारत में न जन्मे कभी
खुदाया किसी मच्छर की तरह।।"
इसके बाद लोकगीतों का माहौल बन जिसने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया सबसे पहले मंच पर आयीं मध्यप्रदेश के शिखर सम्मान से सम्मानित लोक गायिका पूर्णिमा चतुर्वेदी ने निमाड़ी होली सुनाई...
सबसे पहले पूर्णिमा जी ने ननद भौजई की होली सुनाई जिसके बोल थे ---- टेसु फूल्यो अतिभारा नणद बाई महिनो आयो फागुण का" फिर फाग--" म्हारो देवरियो हरिया रूमाल वालो म्हारो देवरियो" सुनाया.
पति पत्नि की होली----"लाई द रे रंग गुलाल म म्हारी होलई होलई म ऊड़ाउ गुलाल म्हारी होलई "।. तत्पश्चात मंच पर आयी लोकगीत गायिका रजनी वर्मा- रेखा वर्मा की जोड़ी ने बुंदेली एयर भोजपुरी गीतों की बौछार से सभी को भिगो दिया आपने सबसे पहले बुन्देली फाग लोकगीत "मोपे रंगा न डालो साँवरिया" सुनाकर सबको झूमाया फिर भोजपुरी फाग लोकगीत -
"ओ लाली चुनरी पे रंगवा लहर मारे, लाली चुनरी" ने तो सभी को नाचने पर मजबूर कर दिया । सभी ने फूलों की बरसात व अबीर गुलाल लगाकर एक दूसरे को त्योहार की शुभकामनाएं दी.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरविन्द सोनी और वीजी अशोक ने किया।कार्यक्रम के समापन पर क्लब के सचिव एवम आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख राजेश भट ने सभी मेहमानों तथा कलाकारों का आभार प्रकट किया।