- स्वर्णिम मप्र के नाम पर मची बंदरबाट
- प्रदेश कौड़ियों के दाम बंटी जमीन
- हिण्डालको, रिलायंस और जेपी ग्रुप पर मेहरबान सरकार
- न्यूनतम एक रुपए के लीजरेंट पर बांटी जमीनें
- खजाने मे जमा हुए कुछेक करोड़
- कई निवेशक जमीनें लेकर हुए गायब हुए
- सरकार की मंशा पर उठे सवाल
मध्यप्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने के नाम पर राज्य सरकार 40 उद्योगपतियों को 71 हजार एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन बांटकर उपकृत कर चुकी है। यह जमीन औद्योगीकरण के साथ-साथ गैर वन पड़त भूमि के विकास के बहाने भी दी गई है। अद्योसंरचना विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर हुए इस जमीन आवंटन से सरकार के खजाने में चंद रुपयों से ज्यादा कुछ जमा नहीं हो पाया है। लंबी अवधि की लीज पर सिर्फ एक रूपए के न्यूनतम लीजरेंट पर जमीनों का आवंटन भी हुआ है।
यह जमीनें पिछले सालों के दौरान बांटी गर्इं हैं। पिछले तीन चार सालों में सबसे ज्यादा जमीनें आवंटित हुई हैं। राज्य की शिवराज सरकार पांच सालों से देश-विदेश के निवेशकों को निवेश के लिए आमंत्रित कर प्रदेश की तरफ उनका रुझान बढ़ाने तरह-तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। इसके लिए अब तक 21 इन्वेस्टर्स मीट हो चुकी हंै जिनमें हुए औद्योगिक करारों के लिए तहत उद्योगपतियों को जमीनें बांटी गर्इं हैं। हालांकि उद्योगों को भूमि आवंटन के लिए उद्योग विभाग की संस्था ट्रायफेक ने नियम बना रखें हैं जिनकी कसौटी पर परखने के बाद जमीनें आवंटित की हैं लेकिन निवेश बढ़ाने के नाम पर हुए हजारों एकड़ जमीन आवंटन से सरकारी खजाने की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। दरअसल सरकार ने अधिकांश उद्योगपतियों को मुफ्त के भाव जमीनें इस उम्मीद पर दे दी हैं कि उद्योग स्थापित होने के बाद इसका लाभ प्रदेश को मिलेगा, लेकिन इसी उम्मीद के बीच गौरतलब यह भी है कि उद्योगपतियों के साथ अब तक हुए 432 करारों में से 111 करार निरस्त हो चुके हैं। इसलिए सरकार की मंशा पर सवाल भी उठने लगे हैं।
तीन हजार से ज्यादा आवेदन
प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर बीते साल नवंबर तक देश भर के और कुछ विदेशों के 3096 निवेशकों ने सरकार के सामने जमीन आवंटित के आवेदन प्रस्तुत किए थे। इनमें निजी निवेश के लिए भूमि आवंटन के लिए 1594 आवेदन आए जिसमें से चुनिंदा 40 उद्योगतियों को 71 हजार 385.98 एकड़ (28889 हेक्टेयर) गैर वन पड़ भूमि आवंटित की है। दो हेक्टेयर की सीमा में कृषि परिवर्तनीय भूमि के आवंटन के लिए सरकार को 1502 आवेदन मिले, जिसमें से 22 आवंटितियों को 1667.95 एकड़ (675 हेक्टेयर) जमीन दी गई। प्रदेश में 4 लाख 74 हजार 78 हेक्टेयर गैर वन पड़त भूमि चिन्हित की गई है जिमसें से 92 हजार 465 भूमि परिवर्तनीय रूप में वर्गीकृत की गई है।
मुख्यमंत्री की परिकल्पना!
राजस्व विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश को स्वर्णिम बनाने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परिकल्पना में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए भूमि उपलब्ध कराना प्रमुख है। इस दृष्टि से विभाग ने प्रदेश में स्थापित होने वाले लगभग सभी वृहद, मध्यम एवं लघु उद्योगों को भूमि उपलब्ध कराई है। विभाग का कहना है कि इस काम को विभाग ने उच्च प्राथमिकता और विशेष तत्परता से किया है। विभाग के ही अनुसार अद्योसंरचना निर्माण में लोक प्रयोजन के लिए भूमि उपलब्ध कराना उसका लक्ष्य रहा है। भू-अर्जन समिति की बैठकों के माध्यम से विभाग द्वारा जमीन आवंटन करके औद्योगीकरण को गति प्रदान की गई है।
हिण्डालको और रिलायंस पर मेहरबान
जमीन बांटने के मामले में राज्य सरकार हिण्डाल्को और रिलायंस समूह के अलावा जयप्रकाश एसोसिएट्स पर जमकर मेहरबान है। इन तीनों औद्योगिक समूहों को ही सरकार साढ़े तीन हजार एकड़ से ज्यादा जमीन बांट चुकी है। राज्य सरकार ने हिण्डालको कंपनी के विभिन्न प्रोजेक्ट के नाम पर कुल 1847.64 एकड़, रिलायंस इण्डस्ट्रीज को 1344.615 एकड़ और जयप्रकाश एसोसिएट्स को 333.34 एकड़ जमीन आवंटित कर चुकी है। हिण्डलाको ने प्रदेश में छह परियोजनाओं के नाम पर इतनी जमीन ली है तो रिलायंस इण्डस्ट्रीज के सासन पॉवर प्रोजेक्ट के लिए आठ बार अलग-अलग भूमियां आवंटित की गर्इं हैं। इसके अलावा रिलायंस कंपनी ने प्रदेश में अपना निजी हवाई अड्डा बनाने के लिए भी सरकार के जमीन ली है। जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी ग्रुप) भी ने पॉवर, सीमेंट, मिनरल्स सहित अन्य आठ प्रोजेक्ट के नाम पर जमीन हथियाई है।
किसे कितनी भूमि
अद्योसंरचना निर्माण के लिए
कंपनी आवंटित भूमि (हेक्टेयर)
हिण्डालको कंपनी 23.77
सासन पॉवर लिमिटेड 28.43
महेश्वर हाईड्रल पॉवर कार्पाे. 0.462
न्यू जोन इंडिया लिमि. 476.788
एसजेके पॉवरजोन 30.960
सासन पॉवर लिमिटेड 44.48
मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी 0.539
महेश्वर हायड्रल पॉवर कार्पो. 4.67
जय प्रकाश एसोसिएट 34.231
हिण्डालको कंपनी 25.96
ग्रासिम इण्डस्ट्रीज लिमि. 7.681
पॉवर ग्रिड कार्पो. 25.50
आर्यन कोल एमपी लिमिटेड 12.800
महेश्वर हायड्रल पॉवर कार्पो. 136.954
औद्योगिकीकरण के लिए
सासन पॉवर लिमिटेड 128
हिण्डालको 547
महेश्वर हाईड्रल पॉवर परि. 12.2
ईरा ईन्फ्रा लिमिटेड उमरिया 126
सासन पॉवर सिंगरौली 198
झाबुआ पॉवर सिवनी 19.4
जेपी मिनरल्स, सिंगरौली 36.7
महान कोल 5.4
जेपी सीमेंट 1.96
मोजरबेयर अनूपपुर 70.2
झाबुआ पॉवर 69.2
सांघी इण्डस्ट्रीज 230
एस्सार पॉवर 186
आर्यन कोल 10.92
महेश्वर हायड्रल पॉवर 12.204
जेपी पॉवर वेंचर्स 0.720
महान कोल लिमिटेड 2.68
सासन पॉवर लिमिटेड 9.749
हिण्डाल्को कंपनी 74.96
छिंदवाड़ा प्लस 242.019
एसईसीएल 14.450
सांघी एनर्जी 133.981
आर्यन कोल लिमिटेड 45.13
न्यू जोन इंडिया लिमिटेड 39.776
जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स 25.500
जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स 28.303
रिलायंस हवाई अड्डा हेतु 63.951
हिण्डल्को कंपनी 62.86
सासन पॉवर लिमिटेड 3.65
मप्र सैनिक कोल माइंस लिमि. 31.48
सासन पॉवर लिमिटेड 11.290
जय प्रकाश पॉवर वेंचर्स 4.047
एस्सार पावर लिमिटेड 1.09
रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड 3.529
सासन पॉवर लिमिटेड 53.070
हिण्डाल्को लिमिटेड 13.17
एसकेएम लिमिटेड 101.076
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एमओयू : टोटल रिकॉल
इन्वेस्टर्स मीट - 21
खर्चा - 156 करोड़
एमओयू हुए - 432
निवेश समझौता - 471564 करोड़
निरस्त एमओयू - 111
उत्पादन शुरू - 40
अनुमति के लिए रुके - 15
सर्वे कार्य जारी - 140
प्रारंभिक स्थिति में - 73
उद्योगपतियों को बांटी 71 हजार एकड़ जमीन
सितंबर 24, 2012
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