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करोड़ों के वाहन सुपुर्दनामे पर

नगर निगम की लापरवाही, लाचारी या दरियादिली का नतीजा
40 से ज्यादा चार पहिया वाहन ढाई करोड़ के सुपुर्दनामें पर
एक्सीडेंट होने पर क्लेम दावा पर भी पड़ेगा विपरीत असर


ब्यूरो, भोपाल

 

करोड़ों के वाहन सुपुर्दनामे पर
इसे नगर निगम प्रशासन की दरियादिली समझा जाए या लाचारी अथवा लापरवाही कि खुद निगम की करोड़ों की संपत्ति अदालती अमानत में तब्दील होकर रह गई है। इस अनदेखी की चलते करोड़ों के वाहन आज अदालती सुपुर्दनामे पर हैं। पर नगर निगम की इस दिशा में सुस्त चाल उस पर सवालिया निशान तो लगाती है। वहीं निगम के विधि विभाग को भी कठघरे में खड़ा करती है। साथ ही केन्द्रीय कर्मशाला की मनमर्जी को भी इंगित करती है।
मजेदार बात यह है कि निगम के कोई 40 वाहन इन दिनों कोई ढाई करोड़ रुपयो के सुपुर्दनामे पर तो है ही। वहीं इतनी ही राशि के दावे भी पीड़ितों की तरफ से किए गए हैं। पर विधि विभाग कुंभकर्णी नींद में गाफिल है। परेशान अगर हैं तो वे निगम अधिकारी-कर्मचारी जिन्होंने अपनी तरफ से शपथ पत्र देकर
निगम हित में जब्त वाहन सुपुर्दनामें पर छुड़ाए हैं। ये सभी वाहन वर्षों से सुपुर्दनामे पर चल रहे हैं। खास बात यह है कि हर वर्ष ऐसे वाहनों की संया बढ़ती जा रही है।
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कैसे हैं सुपुर्दनामें पर
नगर निगम के कोई चार दर्जन वह वाहन सुपुर्दनामें पर हैं जिनके चालकों ने लापरवाही से वाहन चलाकर किसी को कुचल दिया अथवा सरकारी या निजी संपत्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया। दुर्घटना के बाद पुलिस प्रकरण दर्ज कर जब अदालत में प्रस्तुत करती है तो दुर्घटना में शामिल वाहन की भी जब्ती होती है। इसी जब्त वाहन को छुड़ाने के लिए जब अर्जी दी जाती है तो न्यायालय ऐसे वाहनों को सुपुर्दनामें पर नगर निगम को सौंपती है। सुपुर्दनामे पर छूटे वाहनों में कोई 3 लाख पर तो कोई 18 लाख पर कोई 35 लाख पर छूटने वाले वाहन भी शामिल हैं।
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क्यों होती है दुर्घटनाएं
यह सच है कि किसी दुर्घटना का कोई काल निश्चित नहीं होता, लेकिन अगर थोड़ा सा एहतियात बरता जाए तो दुर्घटना को टाला भी जा सकता है। चूंकि नगर निगम में तो हर कार्य प्रभार के रूप में होता है। यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ है। इन लोहे के घोड़ों को टकराने में 10 फीसदी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का योगदान रहा है।
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62 लाख का दावा
कुछ समय पूर्व वीआईपी रोड पर एक युवक नगर निगम की टेÑक्टर ट्रॉली की चपेट में आकर जान गवा बैठा। नौगांव निवासी मृतक के परिजनों ने नगर निगम के ऊपर 62 लाख के हर्जाने का दावा ठोका है।
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35 लाख का सुपुर्दनामा
एक सप्ताह पूर्व सुभाष फाटक के पास नाला सफाई के दौरान पोकलिन मशीन के
चालक ने रेलवे सिग्नल के केबिल को क्षतिग्रस्त कर दिया। इससे घंटों रेलवे
यातायात ठप रहा। रेलवे पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर चालक को गिर तार किया साथ
ही पोकलिन मशीन भी जब्त कर ली। बाद में 35 लाख के सुपुर्दनामें पर पोकलिन
मशीन सौपी गई।
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यह हैं सुपुर्दनामें पर
एमपी 04-डीबी -0665 डंपर, एमपी 04-एएच 2082 टेÑक्टर, एमपी 04-सीजी 7297 जीप (डीआई), एमपी 04-के-6925 जेसीबी, एमपी 04- एफ-9219 डंपर प्लैसर, एमपी 04-एएच-2092 टेÑक्टर, एमपी 04- डीबी-0204 हाई.एलि. प्लेटफार्म, एमपी 04-के 3167 ट्रक 407, एमपी 04- डीबी 0337 महेंद्रा पिकअप, एमपी 04-डीबी 0663 डंपर, एमपी 04-जीए 3297 वाटर टेंकर स्वराज माजदा, एमपी 04-एफ-9237 आरसी, पोकलिन मशीन क्रमांक-2।
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कथन
मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं। ऐसे वाहनों की सूची निकलवाकर त्वरित कार्रवाई कर उन्हें मुक्त कराया जाएगा।
-संतोष गुप्ता, परिवहन अधिकारी, नगर निगम

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