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निजीकरण और उदारीकरण ने बर्बाद कर दिया देश को

टेड यूनियनें और मजदूर संगठन 10 सूत्री मांगों के लिए 18 दिसबंर को जेल जाएंगे

ब्यूरो, भोपाल


केंद्रीय श्रमिक संगठनों का कन्वेंशन
केंद्रीय श्रमिक संगठनों का कन्वेंशन
केंद्र और राज्य सरकारों की गलत नीतियों और मल्टीनेशनल कम्पनियों से मिलीभगत के नतीजे में निजीकरण और उदारीकरण से देश बर्बाद हो रहा है। इसके बाद भी शेयर मार्केट की चढ़त, महंगाई दर में गिरावट के आंकडेÞ, विकास दर बढ़ने के दावों की आड़ में केंद्र और राज्य सरकारें असलियत को छुपा रही हैं। वास्तविकता यही है कि विकास का फायदा सिर्फ चंद अमीरों को मिल रहा है और बाकी देश गरीब होता जा रहा है। ऐसे में भ्रष्टाचार, महंगाई और श्रमिक किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनें और मजदूर संगठन 18 दिसबंर को जेल भरेंगे।
केंद्रीय श्रमिक संगठनों का कन्वेंशन

केंद्रीय श्रमिक संगठनों बीएमएस, इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, बैंक, बीमा, बीएसएनएल और राज्य कर्मचारियों के संगठनों के कृष्णचंद्र मिश्र, जीएल धर, डॉ. हेमलता, आरडी त्रिपाठी आदि ने रविवार को कन्वेंशन को संबोधित करते हुए बताया कि 20 और 21 फरवरी की राष्ट्रव्यापी हडताल के जरिए सरकारों को जनविरोधी फैसले वापस लेने का दबाव डाला जाएगा। इसके साथ ही उद्योग मित्र प्रदेश सरकार की आड़ में किसानों की जमीनों का जबरिया अधिग्रहण और विस्थापन रोकने की पहल की जाएगी। इसके लिए 20 दिसबंर को संसद मार्च होगा, 1 जनवरी से 19 फरवरी तक राष्ट्रव्यापी हडताल होगी।

इन मांगों पर रहेगा जोर
टेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से पूषण भट्टाचार्य ने 10 सूत्री मांगों के बारे में बताया कि बढमी महंगाई पर रोक, मजदूरों के लिए सर्वव्यापी सामाजिक सुरक्षा, श्रम कानूनों का उल्लंघन, न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना, ठेकाकरण और टेड यूनियनों के अधिकारों के हनन के बारे में विरोध दर्ज कराना होगा। इसके साथ ही श्रम कानूनों की अनदेखी करके उद्योगपतियों को किसानों की जमीनें दिए जाने पर रोक लगाने की मांग होगी।

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