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पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा, भगवान से ऊपर हो गए हैं आज के कलेक्टर

भोपाल.

पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने कहा है कि आज के कलेक्टर अपने आप को भगवान से ऊपर मानने लगे हैं। लोक सेवक के बजाय लोक स्वामी की भूमिका अख्तियार कर रहे हैं। इससे प्रशासनिक तंत्र में बेवजह तनाव बढ़ता है और नकारात्मकता बढ़ती है।


-मेडिकल आधार पर कर्मचारियों की सर्विस खत्म नहीं की जा सकती

-इलेक्शन ड्यूटी से बचने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट लगाने वाले कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति संबंधी फरमान पर भड़के कर्मचारी संगठन


यह तल्ख टिप्पणी श्रीमती बुच ने इलेक्शन ड्यूटी से कथित तौर पर बचने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट लगाने वाले कर्मचारियों की सेवा समाप्ति के प्रस्ताव भेजने पर करते हुए की। उन्होंने भोपाल कलेक्टर सुदाम खाडे और सागर कलेक्टर प्रीति नायक द्वारा कर्मचारियों के सेवा समाप्ति के प्रस्ताव पर नाराजगी जताते कहा है कि, बिना जांच करवाए और दोष साबित हुए, ऐसा किया जाना अनुचित है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि कर्मचारी गड़बड़ी नहीं करते, लेकिन सभी कामचोरी कर रहे हैं, ऐसा नहीं माना जाना चाहिए। कई कर्मचारियों की इलेक्शन ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक आने या दूसरे कारणों से मौत हो चुकी है। तब क्या उसकी जिम्मेदारी कलेक्टर उठाएंगे?


शिवराज की गलती कमलनाथ नहीं दोहराएं
पूर्व मुख्य सचिव ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कलेक्टरों के ऐसे ही आचरण पर आंखें मूंद रखी थीं और समय पर ध्यान नहीं दिया। अब वहीं गलती मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ नहीं दोहराएं, बल्कि जिलास्तर पर ध्यान देना होगा। 




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सरासर अनुचित
मेडिकल सर्टिफिकेट को चैलेंज करने के बजाय निरीह कर्मचारियों की सेवा समाप्ति का प्रपोजल सरासर अनुचित और एकतरफा है। 
डॉ. केदार सिंह तोमर, अध्यक्ष, सपाक्स

डॉक्टर को चैलेंज करें
बीमारी का प्रमाणपत्र तो निर्धारित प्रक्रिया के तहत सरकारी डॉक्टर ही देते हैं तो फिर उसको मानने के बजाय कर्मचारी पर कार्रवाई क्यों?
सुधीर नायक, अध्यक्ष, मंत्रालय कर्मचारी संघ

बिना जांच कार्रवाई का विरोध
बीमारी फर्जी है तो दोबारा मेडिकल कराकर फिर कार्रवाई संस्थित की जाए, लेकिन बिना जांच हुए ही कार्रवाई का विरोध करेेंगे। 
सुरेश गर्ग, अध्यक्ष, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ

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यह है मामला
कर्मचारियों ने मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर इलेक्शन ड्यूटी करने में असमर्थता जताई। इस पर भोपाल कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सुदाम पी खाडेÞ ने 14 कर्मचारियों और सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक ने 32 कर्मचारियों की अनिवार्य सेवा समाप्ति के नोटिस जारी कर दिए। कलेक्टरों का तर्क है कि जो कर्मचारी बेहद गंभीर बीमार होने से ड्यूटी नहीं कर सकता तो वह वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले ले। प्रावधान है कि 20 साल की सेवा या 50 साल की आयु होने पर किसी कारण से अक्षमता या गंभीर बीमारी होने से कार्य नहीं कर पाने पर वीआरएस का पात्र होगा। 

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मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
मध्य प्रदेश अधिकारी कमर्चारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक सत्यभान सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह और सुरेंद्र सिंह सोलंकी की अगुवाई में बुधवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। इसमें निर्वाचन कार्य में बीमारी के कारण ड्यूटी न करने वाले मुलाजिमों को कलेक्टरों द्वारा रिटायरमेंट की सिफारिश का विरोध किया गया है। कमर्चारियों ने हमेशा ही निर्वाचन आयोग के निर्देशों का पालन किया है। इसके बाद भी जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा विभाग प्रमुखों को लिखे पत्र में कमर्चारियों को 20 वर्ष सेवा या 50 वर्ष आयु के आधार पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति करने की अनुशंसा को तानाशाही सिफारिश मानते हुए विरोध किया जाता है। इस पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने आश्वस्त किया कि किसी भी कमर्चारी के खिलाफ अन्याय नहीं होगा, जो भी होगा वह नियमों के अनुसार होगा। 

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तब जवाब देंगे
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपा गया ज्ञापन जब मेरे सामने आएगा तब जवाब देंगे। इस विषय पर मेरा पक्ष तभी बता देंगे। 
प्रीति मैथिल नायक, कलेक्टर, सागर

अनफिट हैं तो लिखा
मेडिकल अनफिट कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए लिखा गया है। वहीं निर्वाचन आयोग को भी जवाब दे दिया जाएगा। 
सुदाम पी खाडे, कलेक्टर, भोपाल

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