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कार्यकर्ताओं के हिसाब मांगने पर धमकाया गया और नौकरों जैसा बर्ताव करते हैं सपाक्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी

 भोपाल.

सपाक्स पार्टी मेंं बगावत बढ़ती जा रही है। सपाक्स पार्टी अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी के क्रिया कलापों के खिलाफ पार्टी के प्रदेश सचिव भानू तोमर और सह सचिव प्रसंग परिहार के बाद अब युवा सपाक्स अध्यक्ष अभिषेक सोनी ने इस्तीफा दे दिया है। 


सपाक्स आंदोलन को कमजोर किया पार्टी के ही राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने

सपाक्स पार्टी के युवा अध्यक्ष अभिषेक सोनी ने इस्तीफा देते लगाए गंभीर आरोप

दूसरे दलों से सांठ-गांठ करके सपाक्स पार्टी अध्यक्ष ने कमजोर उम्मीदवार उतारे


सपाक्स युवा अध्यक्ष सोनी ने इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया है कि सपाक्स आंदोलन को पार्टी अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने ही कमजोर किया। पार्टी मेंं नई नियुक्तियों से लेकर पार्टी प्रत्याशी तय करने तक मेंं संदिग्ध क्रिया कलाप रहे। यहां तक कि जब भी इस बारे मेंं पार्टी के बैठकों मेंं पूछा जाता तो त्रिवेदी का एक ही जवाब रहता है कि यह सवाल आप नहीं पूछ सकते। हद तो यह है कि आरक्षण के खिलाफ खड़ा हुआ सपाक्स आंदोलन को मुद्दों से भटकाया गया। सोनी ने कहा है कि सपाक्स आंदोलन महत्वपूर्ण है, न कि राजनीतिक हित साधना।


इन कारणों के चलते दिया इस्तीफा

1.      सपाक्स पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हमेशा सालों से लगे मूल आंदोलनकारियों को दरकिनार कर चुनावी मौसम में आए चाटुकारों को महत्व दिया है, जिस से कई जिलो में मजबूती से खड़े सपाक्स युवा संगठन और सपाक्स समाज को नुकसान हुआ। 

2.    पार्टी का गठन आंदोलन मजबूत करने के लिए किया गया था, परंतु पार्टी के गठन के साथ ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सिर्फ आंदोलन खत्म करने का काम शुरू कर दिया, जिसे हमने कई बार संभालने की कोशिश की ताकि हम मजबूती से आंदोलन को जीवित रख सके।

3.      कई बार ऐसी स्थितियां निर्मित की गई, जिससे आंदोलन को नुकसान हो, लेकिन हम उन परिस्तिथियों को अनुकूल बनाते हुए शांत रहे। ताकि सपाक्स आंदोलन को कोई  नुकसान न होे

4.     कई जिलो में सपाक्स समाज और युवा संगठन के सदस्यो को भड़काने एवं उनके न चाहते हुए भी सपाक्स पार्टी में शामिल करने का दबाव बनाया गया।


अभिषेक सोनी
5.      आर्थिक पारदशिर्ता एवं संगठन को बढ़ाने की रणनीतियों पर हर बार सिर्फ आश्वासन ही दिया गया और जब भी गंभीर मुद्दों पर प्रश्न किए गए तो यह तक कहा गया की आप हमसे सवाल नहीं कर सकते। इसी  वजह से कई पदाधिकारियों में असंतोष का भाव व्याप्त हुआ और उन्होने सपाक्स पार्टी मजबूरी में छोड़ दी या उन्हे षड्यंत्र पूर्वक हटा दिया गया।

6.      यहा तक की कई सपाक्स सदस्यो ने जब शीर्ष पदाधिकारियों के समक्ष नीतियो का विरोध किया तो उन्हे फोन कर के धमकाया गया

7.      राष्ट्रीय पदाधिकारियों द्वारा विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव हर बार की तरह चुनाव लड़ने का बोल कर पीछे हटना और इसका पूरा दोष सपाक्स संस्था एवं समाज पर डाला गया

8.      आर्थिक पारदर्शिता लगभग शून्य है, पदाधिकारियों को ये बिलकुल भी ज्ञात नहीं है की कितना पैसा कहा से आया और कितना पैसा कहा खर्च हुआ?

9.      पूरे प्रदेश में मजबूती से खड़ा सपाक्स युवा संगठन को तोड़ने का प्रयास किया गया और सपाक्स युवा संगठन के प्रदेश स्तर के डेटा का दुरुपयोग किया गया।

10.     संगठन के जिन पदाधिकारियों को संगठन विरोधी गतिविधियो की वजह से हटाया गया था उन्हे जानबूझ कर सपाक्स पार्टी में पदाधिकारी बनाया गया। ताकि सपाक्स आंदोलन को कमजोर किया जा सके

11.    पार्टी के गठन के वक़्त मुझे युवा मोर्चा अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन बिना मेरी जानकारी के मुझे बिना किसी सूचना के सपाक्स युवा मोर्चा के पद से हटा दिया गया और सपाक्स समाज से बिना किसी समन्वय या सूचना दिये सपाक्स समाज के ही पदाधिकारी को अध्यक्ष बना दिया गया।

12.    ऐसी कई नियुक्तियां दी गई, जिस पर संगठन ने प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक में  विरोध किया फिर भी उन्हे जानबूझ कर  नियुक्त किया गया


13.     कई बार मंथन एवं समन्वय बैठक के बाद भी विधान सभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव के समय तक वही गलतियां बार-बार दोहराई गई, अत:  बार-बार की गई गलतियां सोची समझी साजिश कहलाती हैं। जो सपाक्स पार्टी के माध्यम राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने सपाक्स के आन्दोलन को कमजोर कर साबित कर दिया है।

14.  सपाक्स पार्टी के खुद का चुनाव भी पारदर्शी नहीं रहा, जहा सपाक्स पार्टी के संस्थापक सदस्यों को जिसमें मैं स्वयं भी शामिल हूँ को जानकारी नहीं दी गई। ताकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में किसी भी प्रकार का विरोध न दिखे। 

15.  मुझे तो इस बात का भी संशय है की सपाक्स पार्टी के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में जानबूझ कर देरी की गई, ताकि हम चुनाव तक मजबूती से न टिक सके।

16.  सपाक्स पार्टी के कुछ पदाधिकारियों का अन्य लोगो के प्रति व्यवहार बड़ा ही अनैतिक एवं भाषाई मर्यादा के अनुरूप नहीं रहा। उनका व्यवहार लगभग सभी से नौकरों जैसा रहा, जैसे कोई पार्टी या संगठन का व्यक्ति उनका नौकर हो और वे उन्हे वेतन देते हों और कई बार बोलने के बाद भी उन पदाधिकारियों के ऊपर किसी भी प्रकार की संगठनात्मक कायर्वाही नहीं की गई। 

17.   सपाक्स पार्टी के लगभग सभी निर्णय 2 या 3 लोगो ने मिलकर एक बंद कमरे में किए जो की पार्टी के   लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन है। कई महत्वपूर्ण निर्णय समन्वय समिति के समक्ष लिए जाने थे। यहां तक की कई बार समन्वय समिति के निर्णय को भी आदेश पारित करते वक़्त बदल दिया गया
  
18.   सपाक्स युवा संगठन के कई युवा साथियों द्वारा जब जिला या प्रदेश स्तर पर सपाक्स पार्टी की नीतियों का विरोध किया गया तो उन्हे फोन कर के धमकाया गया।

19.   धमकाने का क्रम यहीं तक नहीं रुका। मेरे कुछ नीतिगत प्रश्न पूछे जाने और विरोध दर्ज कराने पर मुझे न धमकाते हुए मेरे परिवार को धमकाया गया।

20.    सपाक्स नाम से पार्टी होने की वजह से एवं सपाक्स के नाम पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी हतोत्साहित ना हो इसलिए हमने कभी विरोध नहीं किया परंतु अब पानी सर से ऊपर जा चुका है। सपाक्स पार्टी या व्यक्ति विशेष की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए सपाक्स समाज के आंदोलन से समझौता नहीं किया जा सकता है। 

21.     अन्य जातिगत आरक्षण विरोधी दल, पार्टी, संगठनों से सही तरह से समन्वय नहीं किया गया, जिसका खामियाजा हमें पूरे विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला।


22.    विधानसभा एवं आने वाले लोकसभा परिणाम की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की बनती है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने हमेशा सपाक्स की मूल जनक सपाक्स अधिकारी कर्मचारी संस्था एवं सपाक्स समाज को  दरकिनार कर हमेशा तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए अपनी मर्जी चलाई और अंत मेंं अपनी गलती ना मानते हुए हार का ठीकरा सापक्स संस्था एवं समाज पर फोड़ दिया। 

23.    सपाक्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी एवं अन्य प्रमुख पदाधिकारियों की गतिविधियां संदिग्ध प्रतीत हो रही है। ऐसा प्रतीत होता रहा है कि वह किसी अन्य संगठन या राजनीतिक दल के हाथ की कठपुतली बन गए हैं। यदि वे वाकई में सपाक्स आंदोलन को जीवित रखना चाहते है तो नैतिकता के आधार पर पूरी राष्ट्रीय कायर्कारिणी के साथ इस्तीफा दें। 

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