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अमित शाह ने कहा- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को देश से जाने के लिए नहीं कहेंगे


कोलकाता। गृह मंत्री बनने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को पहली बार पश्चिम बंगाल पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि केंद्र आपको भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करेगा। अफवाहों पर ध्यान न दें।’’ इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हमारे राज्य में सभी का स्वागत है। कृपया किसी तरह की बांटने वाली राजनीति न करें।

शाह ने कहा, ‘‘एनआरसी के पहले हम सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल लेकर आएंगे, जो यह सुनिश्चित करेगा कि इन लोगों को भारत की नागरिकता मिले। पश्चिम बंगाल और अनुच्छेद 370 में एक स्पेशल कनेक्शन है, क्योंकि यह इसी मिट्टी का बेटा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने एक नारा दिया था, एक निशान, एक विधान और एक प्रधान।’’
लोगों के बीच मतभेद पैदा न करें: बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में बांटने की राजनीति काम नहीं करेगी। लोगों के बीच मतभेद पैदा न करें। बंगाल हमेशा से सभी विचारधाराओं के नेताओं के सम्मान के लिए जाना जाता रहा है। इसे कभी बर्बाद नहीं किया जा सकता है।’’
11 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी
पिछले दिनों राज्य में अपनी नागरिकता खोने के डर से 11 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में जन्म प्रमाणपत्र और आवश्यक दस्तावेज लेने के लिए लाइन में लगे लोगों की भीड़ देखी जा रही है। इस पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि तृणमूल ने जानबूझकर एनआरसी को लेकर राज्य में आतंक पैदा करने की कोशिश की है।
‘ममता हमें शरणार्थी विरोधी पार्टी के रूप में पेश कर रही’
गृह मंत्री शाह जहां कई बार देशभर में एनआरसी लागू करने की बात कह चुके हैं वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमेशा इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा था कि वह राज्य में कभी एनआरसी लागू नहीं होने देंगी। इस पर बंगाल के भाजपा नेता का कहना था कि तृणमूल पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बचाने के लिए एनआरसी का विरोध कर रही है, जो उनका वोट बैंक हैं।
असम पहला राज्य जहां एनआरसी लागू
असम देश का पहला राज्य है जहां एनआरसी लागू की गई है। वहां 31 अगस्त को एनआरसी की लिस्ट जारी की गई थी, जिसमें 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं थे। इसमें 12 लाख हिंदू हैं। एनआरसी 1985 के असम समझौते के प्रावधानों में से एक है।
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