नई दिल्ली। सनातन संस्कृति में तुलसी के पौधे को देवतुल्य माना गया है। मान्यता है कि तुलसी के पौधे की पूजा करने से दुखों और संताप का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए कुछ विशेष दिनों को छोड़कर रोजाना तुलसी पूजा का शास्त्रों में विधान बताया गया है। इसके साथ ही जब भगवान विष्णु चार महीने यानी चातुर्मास की योगनिद्रा से जागते हैं तब देवउठनी एकादशी के दिन शालिग्राम का तुलसीजी से विवाह किया जाता है। शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इस दिन तुलसी को लाल वस्त्र के साथ श्रंगार सामग्री समर्पित की जाती है और उनका कन्यादान किया जाता है। तुलसीजी और शालिग्राम का परिणय संस्कार हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ शास्त्रोक्त विधि से संपन्न किया जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को है। इसलिए कुछ श्रद्धालु तुलसी विवाह 8 नवंबर को तो कुछ 9 नवंबर को इसका आयोजन करेंगे।
