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27%आरक्षण को लेकर पिछडा वर्ग संगठनो की बैठक एकमत होने के पश्चात मुख्यमंत्री के साथ बैठक

पिछडा वर्ग के सर्वेक्षण मे आर्थिक आधार स्वीकार नही रमाकांत यादव

भोपाल। विगत दिवस भोपाल मै पिछड़ा वर्ग के विभिन्न संगठनों की एक बैठक होटल अशोका लेकव्यू में दोपहर मे 2 सत्र में संपन्न हुई। समस्त संगठनों ने भविष्य की रणनीति तय कर तैयार ज्ञापन  में पिछड़े वर्ग की विभिन्न मांगों को शासन के सामने प्रस्तुत करने के लिए सभी ने सहमति प्रदान की।

मप्र सरकार के निमंत्रण पर पिछड़ा वर्ग के सभी संगठनों के  पदाधिकारी चर्चा हेतु सम्मिलित हुए ।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता मे मुख्यमंत्री निवास पर दौर शाम आयोजित चर्चा बैठक मे नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह पिछड़ा वर्ग विभाग के मंत्री रामखिलावन पटेल पीएचई राज्यमंत्री बृजेंद्र यादव कृषि मंत्री कमल पटेल की उपस्थिति मे  राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिकार संगठन के संयोजक रमाकांत यादव, महासचिव मदन गोपाल रजक ,भोपाल की पूर्व महापौर विभा पटेल जी ओबीसी यूनाइटेड फ्रंट के राजकुमार सिंह संयुक्त मोर्चा के पूर्व डिप्टी कलेक्टर महेंद्र सिंह पिछड़ा वर्ग एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से रामेश्वर ठाकुर एडवोकेट श्रीसहाय, प्रकाश धाकड़,यश भारती रेलवे एसोसिएशन के पप्पू यादव ,संतोष प्रजापति सागर एवं अन्य संगठनो के महत्वपूर्ण गण उपस्थित रहे।

सभी के विचार उद्गार पश्चात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आश्वासन दिया कि सरकार पिछड़े वर्गों को 27% आरक्षण नौकरियो में देगी।

यदि मामला अदालत में जाता है तो सरकार की पूरी कोशिश होगी कि पिछड़े वर्ग का अधिकार उनको मिले। यह भी कहा कि 15 अगस्त 2021 को उन्होंने जो पिछड़ा वर्ग कमीशन बनाने की घोषणा की है वह पिछड़े वर्गों का सामाजिक शैक्षणिक एवं आर्थिक आधार पर सर्वे करायेगा।

इस मुद्दे पर रमाकांत यादव ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुये कहा की सर्वे मे आर्थिक आधार की शर्त नहीं होनी चाहिए ।

तब मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन की ओर से तीन मंत्रियों की एक क्वार्डिनेसन कमेटी पिछड़े वर्ग के संगठनों के प्रमुखों से चर्चा करती रहेगी जिसमें आप अपना पक्ष रख सकते हैं।

 इस बात को लेकर रमाकांत यादव ने पुन अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारा काम अपने अधिकारों के लिए समाज को जागरूक करना लोगों को वास्तविकता से अवगत कराना अपने हक अधिकार को लेकर सड़कों पर आंदोलन करना और इसके अलावा शासन प्रशासन से संवाद करना भी है क्योंकि लोकतंत्र में बिना संवाद के आगे बढ़ना सही तरीका नहीं है। इसलिए हमने शासन के सामने अपनी बात रखी एवं शासन ने अपनी बात हम सबके सामने रखी है आने वाले समय में यदि शासन सकारात्मक पहल करने में सक्षम या सफल नहीं होता अथवा हमें लगता है कि सही नियत से पिछड़े वर्गों का हित नहीं हो पा रहा है तब आंदोलन की भूमिका हमसे कोई नहीं छीन सकता।

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