पश्चिम मध्य रेलवे में बटेंगे 88 करोड रुपए
52600 कर्मचारी होंगे लाभान्वित
जबलपुर। रेल मंत्रालय ने सभी पात्र अराजपत्रित रेल कर्मचारियों ( आरपी एफ/आरपीएसएफ कार्मिकों को छोड़कर) को वित्तीय वर्ष 2020- 21 के लिए 78 दिनों के वेतन के बराबर उत्पादकता लिंक्ड बोनस (पीएलबी) का भुगतान करने का निर्णय लिया है। पात्र अराजपत्रित रेल कर्मचारियों को पीएलबी के भुगतान के लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा ₹ 7000/- प्रति माह के हिसाब से की जाएगी। प्रति पात्र कर्मचारी को 78 दिनों के लिए अधिकतम राशि ₹ 17,951 बोनस के रूप में भुगतान की जाएगी।आज महाप्रबंधक पश्चिम मध्य रेल सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि इसका पश्चिम मध्य रेल पर ₹ 87.99 करोड़ का वित्तीय प्रभाव होने का अनुमान है। इस निर्णय से पश्चिम मध्य रेलवे के लगभग 52600 अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों को लाभ होगा.रेलवे पर बोनस सभी अराजपत्रित रेलवे कर्मचारी (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर) मिलेगा. इससे सभी पात्र कर्मचारियों में हर्ष का माहौल व्याप्त है।महाप्रबंधक द्वारा चर्चा के दौरान बताया गया कि पश्चिम मध्य रेल द्वारा वर्ष 2020-21 में और अभी तक बेहतर प्रदर्शन किया गया है जिसके अंतर्गत 6 मेमू ट्रेनों का परिचालन, तीनो मंडलों के रेल अस्पतालों में ओक्सिजन प्लांट, भारतीय रेल पर पहला एन एम् जी एच रेक का निर्माण, भारतीय रेल पर मॉल गाड़ियों की गति में प्रथम, हाई स्पीड ट्रायल, 94 किलोमीटर दोहरीकरण/तिहरी करण लाइन का निर्माण, ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम आदि महत्वपूर्ण कार्य किये गए है।महा प्रबंधक सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि पात्र रेलवे कर्मचारियों को बोनस का भुगतान दुर्गापूजा के पहले किया जाएगा।बोनस का भुगतान होने से रेल कर्मचारी अपने कार्य के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रेरित होते है. बोनस का भुगतान पिछले साल के प्रदर्शन अर्थात 2020-21 में किये गए कार्य के आधार पर किया जा रहा है। पिछले वर्ष रेल कर्मचारियों ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कार्य, माल भाडा, अधोसंरचना, यात्री सुविधाएँ, स्टाफ वेलफेयर, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन आदि के अति महत्वपूर्ण कार्य किये है।वित्त वर्ष 2010-11 से 2019-20 तक कर्म चारियों को 78 दिनों के वेतन की पीएलबी राशि का भुगतान किया गया था। इस वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भी 78 दिनों के वेतन के बराबर पीएलबी राशि का भुगतान किया जा रहा है, जिससे कर्मचारी रेलवे के कार्य निष्पादन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित होंगे।रेलवे में उत्पादकता से जुड़ा बोनस पूरे देश में फैले सभी अराजपत्रित रेलवे कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएस एफ कर्मियों को छोड़कर) को कवर करता है।
पीएलबी की गणना की प्रक्रिया :
(क) कैबिनेट की 23.9.2000 को हुई बैठक में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित फॉर्मूले के अनुसार वर्ष 1998-99 से 2013-14 (2002-03 से 2004-05 को छोड़कर, जब कैपिटल वेटेज तथा कर्मचारियों की संख्या के संदर्भ में मामूली बदलाव किए गए थे) तक पीएलबी का भुगतान किया गया है। यह फॉर्मूला इनपुट :आउटपुट आधारित था,जहां आउटपुट की गणना कुल टन किलोमीटर के रूप में की गई थी और इनपुट कोअराजपत्रित कर्मचारियों की कैपिटल वेटेज द्वारा संशोधित संख्या(आरपी एफ /आरपी एसएफ कर्मियों को छोड़कर) के रूप में माना गया था।(बी) वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 78 दिनों के वेतन के समतुल्य पीएलबी को एक विशेष मामले के रूप में इस शर्त के साथ अनुमोदित किया गया था कि छठे सीपीसी की सिफारिशों और वित्त मंत्रालय के विचारों को ध्यान में रखते हुए पीएलबी के फार्मूले पर फिर से विचार किया जाएगा। इसके परिणाम स्वनरूप, रेल मंत्रालय ने एक नया फॉर्मूला तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया। (ग) समिति ने सिफारिश की थी कि वर्ष 2000 के फॉर्मूले और ऑपरेशन रेशियो (ओआर) पर आधारित डाई न्यू फॉर्मूला दोनों का वेटेज 50:50 के अनुपात में हो सकता है। इस फॉर्मूले ने भौतिक मापदंडों के संदर्भ में तथा वित्तीय मानकों के रूप में भी उत्पादकता के समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है। समिति द्वारा अनुशंसित फॉर्मूले का इस्तेमाल 2014-15 से 2019-20 तक पीएलबी की गणना के लिए किया गया है।
पृष्ठभूमि: रेलवे भारत सरकार का पहला विभागीय उपक्रम था, जिसमें वर्ष 1979-80 में पीएलबी की अवधारणा पेश की गई थी। उस समय अर्थ व्यवस्था में कार्य-निष्पादन में बुनियादी ढांचे के समर्थन के तौर पर कुल मिलाकर रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में मुख्य रूप से विचार किया गया था। रेलवे के कामकाज के समग्र संदर्भ में, ‘बोनस भुगतान अधिनियम-1965’ की तर्ज पर बोनस की अवधारणा के विपरीत पीएलबी की अवधारणा को पेश करना वांछनीय समझा गया। भले ही बोनस भुगतान अधिनियम रेलवे पर लागू नहीं होता, फिर भी उस अधिनियम में निहित व्यापक सिद्धांतों को ‘‘पारिश्रमिक/वेतन की उच्चतम सीमा’’, ‘वेतन’/‘पारिश्रमिक’ आदि के निर्धारण के उद्देश्य से ध्यान में रखा गया था। रेलवे के लिए पीएलबी योजना वर्ष 1979-80 से लागू हुई और दो मान्यताप्राप्त संघों, अखिल भारतीय रेलवेमैन्स फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के परामर्श से तथा कैबिनेट के अनुमोदन से तैयार की गई थी। इस योजना में हर तीन साल में समीक्षा की परिकल्पना की गई है।