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खादी को अपनी जीवन-शैली में शामिल करने की जरूरत - प्रबंध संचालक श्रीमती श्रीवास्तव

भोपाल। खादी वस्त्र और खादी उत्पादों को अपनी जीवन-शैली में शामिल करने की जरूरी है। इससे हम परम्परागत हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के साथ ही बुनकरों को आर्थिक सम्बल प्रदान करने में सहयोगी बन सकते हैं। यह बात मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की प्रबंध संचालक श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने चरखा खादी उत्सव में कही। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की परिकल्पना ग्राम स्वराज एवं ग्रामीण आर्थिक स्वावलंबन की ओर मध्यप्रदेश शासन की मंशा अनुरूप चरखा खादी उत्सव, भोपाल हाट बाजार में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचलों में कार्यरत कत्तिन, बुनकरों एवं अन्य कारीगरों को सतत् रोजगार एवं आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाए जाने के उद्देश्य से उद्यमियों/हस्तशिल्पियों द्वारा उत्पादित सामग्री का बाजार उपलब्ध कराने के लिए चरखा खादी उत्सव का आयोजन भोपाल सहित प्रदेश के 22 अन्य जिलों में भी इस तरह के आयोजन किये जा रहे हैं।

श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि चरखा खादी उत्सव में देश की धरोहर एवं परिधान खादी को वर्तमान फैशन डिजायन के अनुरूप एक नवीन स्वरूप में आमजन के लिए उपलब्ध कराया गया है। विभिन्न 12 राज्यों के खादी ग्रामोद्योग, माटीकला एवं हस्तशिल्प की 110 इकाईयों द्वारा भाग लिया गया है।

उत्सव में आकर्षक एवं सुन्दर मलबरी, कोसा, सिल्क साड़िया, सूट, खादी साड़ियाँ, खादी वस्त्र, ऊनी शाल, समस्त प्रकार के खादी वस्त्र के लेडीज एवं जेट्स रेडीमेड गारमेंट्स, होम फर्नीशिंग, सजावटी सामग्री, माटीकला की कलात्मक एवं सजावटी सामग्री, जूट, बैतबांस, लकड़ी के फर्नीचर, चमड़े के बैग, बैल्ट पर्स, अगरबत्ती, शेम्पू सेनेटाईजर शुद्ध एवं प्राकृतिक मसाले, शहद, अचार, पापड़, आटा, बेसन, दलिया इत्यादि है।

उत्सव में जागरूकता के उद्देश्य से खादी धागों की कताई, खादी वस्त्रों की बुनाई विद्युत चलित चाक पर मिट्टी बर्तन निर्माण का कार्य, म.प्र.शासन की एक जिला एक उत्पाद योजनान्तर्गत भोपाल के लिए चयनित जूट सामग्री निर्माण एवं जरी जरदोजी कार्य का प्रत्यक्ष प्रदर्शन भी किया जा रहा है।

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