बेगमगंज। जो लोग आज चांदी के कलश स्थापित कर रहे है, वह अपना जीवन को सोना सोना कर रहे है, जैसे रवर की गेंद को जितनी ताकत के साथ सामने की दीवाल पर फैका जाता है, वह गेंद दूनी ताकत के साथ लौटकर तुम्हारे पास लौट कर आतीहै, उसी प्रकार धर्म के क्षेत्र में दिया गया दान दूना होकर ही नहीं अपितु कई गुना होकर लौट कर आपके पास आता है,उपरोक्त उदगार संतशिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य निर्यापक मुनि समतासागर महाराज ने बेगमगंज में हो रहे चातुर्मास के अवसर पर रविवार को सांयकालीन सभा में व्यक्त किए।
इस अवसर पर चातुर्मास कलश की स्थापना में देश भर से लोग शामिल हुये। अविनाश जैन विद्यावाणी ने वताया कि 17 जुलाई रविवार को संत शिरोमणि आचार्य गुरूदेव विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य वात्सल्य मूर्ति निर्यापक श्रमण मुनि समतासागर महाराज, मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कंपसागर महाराज , ऐलक निश्चयसागर महाराज, ससंघ चातुर्मास हेतु कलश स्थापना बेगमगंज में श्री पारसनाथ दि. जैन मंदिर सभाग्रह में संपन्न हुई। कार्यक्रम का संचालन धीरज भैया राहतगढ़ ने किया इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। विदिशा, रायसेन, गड़ी गैरतगंज, वीना नन्हीदेवरी, खातेगांव, तथा महाराष्ट्र के यवतमाल, अमरावती, तथा मध्यप्रदेश के गौरझामर, वड़ी देवरी,राहतगढ़, सिलवानी, केसली,सागर, मरखेड़ा, कुठार, अमरपाटन,जेसीनगर, गुना, गंजवासौदा, पथरिया,कर्रापुर, एवं मध्यप्रदेश के जंहा जंहा मुनिसंघ के चातुर्मास एवं बांचना हुई वंहा से गुरुभक्त पधारे। कार्यक्रम का शुभारंभ कुंडलपुर के बड़े बाबा तथा बेगमगंज के भगवान पारसनाथ स्वामी तथा आचार्य विद्यासागर महाराज के चित्र अनावरण एवं दीपप्रज्जवलन के साथ हुआ तत्पश्चात चातुर्मास कमेटी एवं विशिष्ठ आमंत्रित अतिथिओं ने मुनिसंघ को श्री फल समर्पित किए। इस अवसर पर महाराष्ट्र के यवतमाल से पधारे भक्तों ने डाक टिकट का विमोचन किया।
इस अवसर पर बेगमगंज जैन समाज की ओर से मुनिसंघ से बेगमगंज में चातुर्मास करने हेतु श्री फल समर्पित कर चार माह तक स्वाध्याय करने का निवेदन किया गया प्रथम अक्षयनिधी कलश की स्थापना अक्षय सराफ परिवार ने की वंही ज्ञान कलश की स्थापना उत्तम सराफ परिवार ने की तथा तृतीय कलश की स्थापना आनंद कुमार राजपुरा वालों ने की। वंही चतुर्थ कलश अमरचंद्र जैन शिक्षक वेगमगंज ने लिया एवं अन्य कलश भी भक्तों द्वारा स्थापित किए गए।

