एफआईआर दर्ज करवाकर उलझाना चाहती है सरकार
भोपाल। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने उनके खिलाफ गबन के आरोपों में दर्ज की गई एफआईआर को सरकार की साजिश बताते कहा है कि, इससे आदिवासियों, मजदूरों, किसानों का आंदोलन रुकेगा नहीं। कितनी भी कोशिश सरकार कर ले, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी।
मेधा मंगलवार को गांधी भवन में आयोजित जन अदालत के दौरान मीडिया से मुखातिब थीं। उन्होंने कहा कि उनको झूठे केस में फँसा कर सरकार उलझाना चाहती है। इसी तरह उनके समर्थकों, मददगारों और चंदा देने वालों को 5-5 घंटे बिठाकर पूछताछ हो रही है, प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सारा रिकॉर्ड सालों से सामने है, फिर भी फर्जी केस कायम किया गया। उन्होने फर्जी रजिस्ट्रियों का खुलासा होने के बाद भी दोषी अफसरों और दलालों पर कार्रवाई नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि करोड़ो ंरुपए की हेराफेरी में बडेÞ लोग शामिल हैं। जनअदालत में मौजूद इरफान इंजीनियर ने सामाजिक समस्याओं और महंगाई जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए मजहबी कट्टरता को उभारने का आरोप लगाया।
किसने क्या कहा
इरफान जाफरी, किसान नेता-देश में हर साल 4 से 5 प्रतिशत कृषि भूमि बजंर या उद्योगों के लिए ली जाने से कम होती जा रही है। किसान आंदोलन के समापन पर प्रधानमंत्री ने जो घोषणाएं की थी, उनकी पूर्ति नही हो रही। प्रदेश में एमएसपी को लेकर हर साल सरकार देरी से घोषणा करती है, जिसके पहले ही किसान सस्ते में अनाज बेच चुका होता है।
सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद्-प्रदेश में शहरों से लेकर गांवों तक में हरियाली को सुनियोजित तरीके से नष्ट किया जा रहा है। जंगलों की कटाई होने से वन्यप्राणियों की संख्या कम होती जा रही है। अवैध रेत उत्खनन से नदियों का स्वरुप बदलने लगा है और जलीय जीव मरने लगे हैं। जंगल बचाने के नाम पर आदिवासियों को खदेड़कर कब्जे किए जा रहे हैं।


