बेगमगंज। सुल्तानगंज कस्बा से दक्षिण दिशा की ओर 8 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम रतनहारी के समीप सिद्ध धाम मढ़ बटुआ में प्राचीन भू शिवलिंग विद्यमान है जिसके दर्शनों से श्रद्धालुओं की होती हैं समस्त मनोकामना पूर्ण । 120 वर्ष पहले स्वप्न दिया था, खुदाई में निकला था शिवलिंग।। स्थानीय निवासी ग्राम पुरोहित नंदकिशोर मिश्रा ने बताया लगभग 120 वर्ष पहले ग्राम रतनहारी में जन्मे एक आदिवासी बालक को रात में सोते समय भगवान शिव ने स्वप्न में आकर कहा की तुम जिस भटुआ पर गाय चराने जाते हो उस भटुआ पर दरिया (छोटे वाले बेर का पेड़) के नीचे मेरा शिवलिंग, कार्तिक, गणेश, एवं पार्वती जी की मूर्ति सहित पाषाण (पत्थर) का मंदिर खंडहर हालत में जमीन के नीचे दबा हुआ है, जिसे तुम खुदवा कर मुझे निकालो में क्षेत्र का कल्याण करूंगा। आदिवासी बालक ने स्वप्न की बात सुबह उठकर ग्राम वासियों को बताई कुछ लोगों ने बालक की बात पर भरोसा करके उस जगह पर खुदाई का काम शुरू करवाया करीब दो फिट नीचे पहुचते ही पहले मंदिर की पत्थर से बने हुए अवशेष मिलने लगे इसके बाद एक के बाद एक मूर्तियां निकलती गई और पत्थर से बना हुआ पूरे मंदिर का ढांचा निकला इसके बाद आसपास के ग्राम के लोग भी वहां बड़ी संख्या में पहुंचने लगे और उन्हीं पत्थरों से फिर मंदिर का निर्माण करवाया गया आगे चलकर जिस बालक को सपना आया था उनका नाम बालक दास पड़ा जिनकी आज मंदिर के समीप समाधि बनी हुई है।
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| मढ़भटुआ मंदिर परिसर में भरा मेला |
सन 2000 में किया गया मंदिर का जीर्णोद्धार:- वर्ष 2000 के आसपास क्षेत्रीय लोगों के सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया जिसमें शिव जी का भव्य मंदिर साथ में धर्मशाला का निर्माण करवाया गया। वहीं क्षेत्रीय विधायक रामपाल सिंह राजपूत एवं वैशाली स्टोन क्रेशर ग्रुप के मालिक भगत सिंह राजपूत के द्वारा राम जानकी के मंदिर का निर्माण कराया गया।
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| प्रसिद्ध शिवलिंग एवं मंदिर |
श्रावण मास में दर्शन का है विशेष महत्व:- श्रावण मास भगवान शिव को काफी प्रिय है और उस समय देश भर के शिवालयों में शिवभक्त पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ते हैं। लेकिन इस धाम का महत्व विशेष है लोगों की मान्यता है सावन सोमवार से भी हट कर भी कोई श्रद्धालु यहां लगातार पांच सोमवार आकर शिवजी को जल बेलपत्र चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं उनकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं
यह हैं, अनोखा शिवलिंग:-
यह अनोखा शिवलिंग साल 1900 के करीब में एक खुदाई के दौरान मिला था। इस शिवलिंग के दर्शन के लिए यहां पर काफी दूर-दूर से भक्त आते हैं। लोगों की मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। शिवलिंग काफी प्राचीन होने से लोग इसे चमत्कारिक मानते हैं।
यह मंदिर देहगुवां तालाब के तट पर स्थित है और बहुत से लोग मढ़ भटुआ महादेव मंदिर के रूप में भी जानते हैं। खुदाई में मिलने के बाद शिवलिंग की प्राचीनता का अनुमान विशेषज्ञों द्वारा लगाया गया था। उस समय यह बात सामने आई थी कि यह शिवलिंग करीब 2000 साल पुराना है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। मंदिर में साल भर शिव भक्त आते रहते हैं। सावन के महीने में यहां हर दिन मेले जैसा माहौल देखने को मिलता है।
वर्ष में दो बार लगता है मेला:-
मढ़ भटुआ धाम पर 1 वर्ष में दो बार मेला का आयोजन किया जाता है। वर्ष में पहली बार यहां पर बसंत पंचमी पर भव्य मेला का आयोजन किया जाता है, वहीं दूसरी बार महाशिवरात्रि से शुरू होकर 3 दिन तक मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास की तहसीलों सहित क्षेत्रीय व्यापारी एवं श्रद्धालु मेले में शामिल होने पहुंचते हैं।


