भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज रतलाम में लाड़ली बहना महासम्मेलन में बहनों से कहा कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना बना कर मेरी जिंदगी सफल और मुख्यमंत्री बनना सार्थक हुआ है। मैं बचपन से ही बेटी और बहनों के प्रति संवेदनशील रहा हूँ। बेटियों के प्रति अन्याय को रोकने के लिये मैंने पहले लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई, जिसके सफल क्रियान्वयन ने प्रदेश में बेटी को अभिशाप से वरदान बना दिया। अब मेरे दिल से उपजी यह योजना मेरी बहनों को आत्म-निर्भर बनाने के साथ उन्हें सामाजिक रूप से भी सशक्त करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब मिल कर प्रदेश में नया जमाना लेकर आए, जहाँ सब सुखी हों, किसी की आँख में आँसू न हो। सबके चेहरों पर खुशी और मुस्कुराहट हो। भैया-बहन एक साथ मिल कर चलें और प्रदेश का विकास करें। बहनों की खुशी मेरी जिंदगी का मकसद है। मैं जिऊँगा तो आपके लिए और आवश्यकता पड़ी तो मरूँगा भी आपके लिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज पोलो ग्राउंड रतलाम में लाड़ली बहना महासम्मेलन और विकास कार्यों के लोकार्पण-भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने मंच से ही 1374 करोड़ रूपये के विकास कार्यों का भूमि-पूजन-लोकार्पण किया। साथ ही विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं में हितग्राहियों को हितलाभ वितरित किये। मुख्यमंत्री ने रतलाम जिले की विकास पुस्तिका का विमोचन और कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई विकास प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में बेटियों का सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है। पहले बेटी को बोझ समझा जाता था। मैंने विचार किया कि यदि बेटी लखपति पैदा हो तो उसे बोझ नहीं समझा जाएगा और प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई गई। आज प्रदेश में 44 लाख 50 हजार लाड़ली लक्ष्मी है। जन्म के समय बेटियों को 30 हजार रूपये का बचत-पत्र सरकार द्वारा दिया जाता है। बेटियों को 6वीं कक्षा में 2 हजार, 9वीं कक्षा में 4 हजार, 11वीं कक्षा में 6 हजार, 12वीं कक्षा में 6 हजार और 21 वर्ष की उम्र पूरी होने पर एक लाख रूपये एकमुश्त दिए जाते हैं। जब बेटियाँ कॉलेज में पढ़ने जाती हैं तो उन्हें 12 हजार 500 रूपये और डिग्री पूरी होने पर फिर 12 हजार 500 रूपये दिए जाते हैं। इन बेटियों के इंजीनियरिंग और मेडिकल में प्रवेश होने पर उनकी फीस भी मामा शिवराज भरवा रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पहले प्रदेश में लिंगानुपात 1000 बेटों पर 900 बेटियों का था, जो अब बढ़ कर 956 हो गया है। हमारे पूरे प्रयास है लिंगानुपात 1000 बेटों पर 1000 बेटियाँ हो।
