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करामत हुसैन पटेल को दसवीं बरसी पर शिद्दत से किया याद

स्वर्गीय करामत पटेल

बेगमगंज। मैं वो सूरज हूं ना डूबेगी जिसकी किरन, शाम होते ही सितारों में बिखर जाऊंगा,, हमारे सियासी कायद जिन्हें सब लोग बड़े भाई के नाम से पुकारते थे स्वर्गीय करामत हुसैन पटेल एक ऐसी शख्सियत थे जिसे अख्खा इलाका पहचानता था । आप की सियासत के अच्छे-अच्छे माहेरीन लोहा मानते थे। पार्षद से लेकर नगर पालिका अध्यक्ष तक का सफर आपने तय किया सब्र का आपके अंदर बेहद माद्दा था, लोग मुंह पर ही कितना  बुरा  भला कह दे मुस्कुराकर सह लेते थे। बड़े-बड़े मसले चुटकियों में हल करने की महारत हासिल थी जो हम सब से 27 दिसंबर 2013 को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए 10 साल के इस अरसे में कई बार आपकी कमी महसूस हुई लेकिन हर बार ऐसा लगा कि वह कहीं आस-पास ही हैं।

बड़े भाई शायरी का भी शौक रखते थे और कहते थे - जन्नत में बेखौफ चला जाऊंगा आदम वहीं से आए थे वह मेरे बाप का घर है।

उक्त बात उनकी 10वीं बरसी पर वरिष्ठ अधिवक्ता चांद मियां ने कहते हुए उन्हें शिद्दत से याद किया।

वरिष्ठ पत्रकार सईद नादां एडवोकेट ने उनकी राजनीतिक सफर पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए  बताया कि स्वर्गीय पटेल किसी शायर का यह शेर अक्सर कहते थे- सुना है मौत एक पल की भी मोहलत नहीं देती, मैं अचानक मर जाऊ तो मुझे माफ़ कर देना। आज भी यह शेर उनका बरबस याद आ जाता है।

इस मौके पर उनके परिजनों ने जहां कुरान पाक का पाठ कराया वही गरीबों को भोजन भी कराया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से सैयद आबिद हुसैन तालिब, अ.गनी नुसरत, हाफिज़ रियाज परवेज, युसुफ मीर, पत्रकार शब्बीर अहमद, शेख मतीन, राशिद मंसूरी, शेख फाजिल, मुनीर मंसूरी,  नईम खान, शेख भूरा, ताहिर सौदागर, शाहरुख मंसूरी, पार्षद जफर शाह, शाकिर मंसूरी, समेत अनेको  लोगों ने शिद्दत से याद करते हुए खिराजे अकीदत पेश की।


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