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इंजीनियर बनाम गेम्बलर

- सरेआम सरकार की आंखों में धूल झोंकी
- दिया झूठा संपत्ति का ब्यौरा
- कौन सच्चा, ईओडब्ल्यू या इंजीनियर ?
- छापों में मिली थीं सोनें की र्इंटे, लाखों नगद, करोड़ों की संपत्ति


ब्यूरो, भोपाल
 
हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और होते हैं। ऐसा ही कुछ है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा माने जाने वाले जल संसाधन विभाग में। अपने आने वाली पीढ़ियों तक के ऐशोआराम की व्यवस्था कर चुके विभाग के विभिन्न स्तरों के इंजीनियरों ने एक बार फिर सरेआम सरकार की आंखों में धूल झोंक दी। सरकार की सख्ती के बाद विभाग के कुछ अफसरों ने अपनी संपत्ति का खुलासा तो किया लेकिन इसमें असली बात छिपा गए। अफसरों ने जो अपनी संपत्ति बताई है उससे ज्यादा तो विभाग के निचले अमले के पास होगी। मजेदार बात यह है कि जिस विभाग के अफसरों के घरों में सोने की र्इंटे मिलीं हों, उस विभाग में एक भी अफसर करोड़पति नहीं है। सब के सब ‘बेचारे’ हैं।

इंजीनियर बनाम गेम्बलर

जल संसाधन विभाग के दो मुख्य अभियंताओं, 18 अधीक्षण यंत्रियों और 103 में से 42 कार्यपालन यंत्रियों द्वारा दिए गए संपत्ति के ब्यौरे बेदह चौंकाने वाले हैं। इन विश्वास करें तो इस मलाईदार विभाग में सालों से नौकरी कर रहे इन अफसरों ने हमेशा हाथ में गीता रखकर काम किया है। करोड़ों के प्रोजेक्ट में फल-फूल रहे इन इंजीनियरों जिस सफाई से अपनी संपत्ति घोषित की है उससे सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। इन्होंने कमर जरूर है तोड़ी है, उन सभी प्रोजेक्ट की, जिन्हें ये घुन की तरह चट कर गए। पिछले साल और इस साल की शुरूआत में पड़े लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के छापों के बाद आए इस संपत्ति के विवरण सफेद झूठ के ज्यादा कुछ नहीं है। जिस विभाग के इंजीनियरों के घरों से सोने की र्इंटे, सोने चांदी के थोक जेबरात, लाखों रूपया नगद और करोड़ों की प्रापर्टी सामने आई हो, वे खुद को ‘आम आदमी’ साबित कर रहे हैं।


हकीकत कुछ इस तरह है कि.....
- पिछले साल नवंबर में ग्वालियर में आर्थिक गड़बड़ियों से घिरी जलसंसाधन विभाग की हरसी हाईलेवल नहर परियोजना के 7 इंजीनियरों के दफ्तर व आवासों पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने शनिवार की सुबह छापे मारकर लगभग 10 करोड़ की सम्पत्ति का पता लगाया है। छापा मारने में ब्यूरो की 9 टीमें लगाई गईं थीं। दो स्थानों पर साढ़े चार लाख रुपए की नकदी भी मिली है। ये छापे ग्वालियर शहर, डबरा, दतिया तथा करैरा (शिवपुरी) समेत 11 ठिकानों पर छापे मारे गए।
- एक टीम ने थाटीपुर में ज्योति नगर स्थित कार्यपालन यंत्री बरजोर सिंह यादव के चार मंजिला निवास पर छापा मारा जहां पता चला कि यादव का दर्पण कॉलोनी में एक मकान, थाटीपुर में एक प्लॉट तथा लखनोती खुर्दग्राम में छह बीघा जमीन है। इस भूमि में रिटायर्ड मुख्य अभियंता एचडी जोशी भी पार्टनर हैं। यादव के यहां 3 लाख रुपए नकद एवं 4 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज मिले।
राजघाट परियोजना से सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एचडी जोशी के ठिकानों पर भी छापा मारा गया।
- परियोजना के कार्यपालन यंत्री सीएम मिश्रा के सी-9 विवेक विहार स्थित आवास से ब्यूरो की टीम को लगभग 35 लाख रुपए तथा कार्यपालन यंत्री राजेश श्रीवास्तव के डीडी नगर स्थित आवास से डेढ़ लाख रुपए नकद व लगभग 60 लाख रुपए की संपत्ति के दस्तावेज मिले।
- जल संसाधन विभाग के एसडीओ उदय लाले के हरीशंकर पुरम स्थित दो मंजिला मकान पर छापे में लगभग 70 लाख रुपए की सम्पत्ति होने के प्रमाण मिले हैं। हरीशंकपुरम में ही एसडीओ आरके नाहर के आवास पर लगभग 60 लाख की सम्पत्ति के दस्तावेज मिले।
- हरसी हाई लेवल नहर परियोजना ग्वालियर में भारी भ्नष्टाचार की शिकायतें ईओडब्ल्यू को मिली थीं। ये शिकायतें परियोजना में 600 करोड़ के घोटाले की थीं। जांच में पाया कि परियोजना के अधिकारियों ने नियमविरुद्ध तरीके से सामग्रियों तथा उपकरणों का क्रय किया। इसका भुगतान उन लोगों को मिला जो सामग्रियों के निर्माता या एजेंट भी नहीं थे। प्रथम दृष्टया दस करोड़ रुपये की क्षति शासन को पहुंचाए जाने के प्रमाण ब्यूरो को मिले। प्रकरण में ब्यूरो ने 20 से अधिक इंजीनियरों, वरिष्ठ लेखापाल, ठेकेदार तथा सामग्री सप्लाई करने वाले आरोपी बनाया हैं। शासन ने 23 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया। 


कार्यपालन यंत्री भी झूठे
इसी तरह विभाग के 103 कार्यपालन यंत्रियों में से केवल 42 ने ही अब तक अपनी संपत्ति का खुलासा विभाग की बेवसाइट पर किया है। इन 42 में अधिकांश इंजीनियरों ने जिस संपत्ति का ब्यौरा दिया है वह पैतृक बताई है जबकि कुछ इंजीनियरों ने जानकारी है कि उन्होंने अपनी भविष्य निधि और बैंक से लोन
लेकर मकान-प्लाट-भूमि खरीदी है। उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरूआत में बाणसागर परियोजना के अधिकारियों के घरों पर छापों में सबसे ज्यादा कार्यपालन यंत्री ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए थे।


बदला जाएगा ब्यौरे का प्रारूप

्रपूर्व विधायक और अन्ना हजारे की कोर कमेटी के सदस्य डॉ. सुनीलम का कहना है कि सरकार ने अधिकारी-कर्मचारियों को संपत्ति ब्यौरा देने के लिए जो पा्ररूप दिया है उसी में खामिया हैं। इससे तो लगता है कि भ्रष्टाचार रोकने के नाम पर सरकार भी सिर्फ खाना पूर्ति ही करना चाहती है। जिस तरह
चुनाव आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं की संपत्ति के खुलासे के लिए प्रारूप तय किया है उसी प्रारूप में अधिकारियों से संपत्ति का विवरण लिया जाना चाहिए। इसमें अचल के साथ-साथ चल संपत्ति, बैंक खातों और उनमें जमा राशि की जानकारी, सोने-चांदी के जेवरात, कंपनियों में निवेश, बीमा पॉलिसियां आदि की जानकारी भी मांगनी चाहिए। इसी तरह संबंधित अधिकारी के पूरे परिवार का विवरण होना चाहिए। अधिकांश अफसरों ने जो ब्यौरा दिया है वह सिर्फ खुद या ज्यादा से ज्यादा अपनी पत्नी की संपत्ति का जिक्र है। इन्होंने बच्चें के नाम से कितनी संपत्ति खरीदी और कहां-कहां निवेश किया, इसका भी खुलासा होना चाहिए।


इतनी संपत्ति बताई है बड़े इंजीनियरों ने
मुख्य अभियंता
नाम                                                 संपत्ति                                   मूल्य
डीके पाण्डे                                          जबलपुर में मकान                    17.87 लाख
केसी प्रजापति                                     होशंगाबाद में मकान                  18 लाख
                                                      होशंगाबाद में प्लाट                    30 लाख
                                                      होशंगाबार में जमीन                   7 लाख
अधीक्षण यंत्री
एके आर्य                                           भोपाल में मकान                      22 लाख
                                                      रीवा में संपत्ति                           6 लाख
अशोक सिंहल                                      उज्जैन में एमआईजी                कीमत नहीं बताई
वीसी त्रिवेदी                                         उज्जैन में पुत्र के नाम                13 लाख
बीएस धु्रर्वे                                         आमला में कृषि भूमि                 2.50 लाख
दिनेश कुमार शर्मा                                 अंजली काम्पलेक्स भोपाल           5.50 लाख, आय 28 हजार रूपए साल
हरीसिंह रघुवंशी                                    गुना में मकान                          6.50 लाख 
                                                       अशोक नगर में भूमि                  2.50 लाख
हेमंत मारू                                          इंदौर में मकान                         13.50 लाख, आय 70 हजार 500 रूपए साल
एमडी नारोलिया                                   ग्वलियर में 2.42 हेक्कृषि भूमि    75000
                                                       ग्वालियर में भवन-पत्नी के नाम    7 लाख
एमके गोयल                                       अंबर काम्प. भोपाल में फ्लेट        5.50 लाख, 52500 आय, सलाना
मदनगोपाल चौबे                                  जबलपुर में 2 फ्लेट, एक मकान    38 लाख
एमपी चतुर्वेदी                                     रीवा मं 5 एकड़ जमीन               7.50 लाख, 50 हजार आय
एनके परिहार                                      रायसेन में मकान                     2 लाख
                                                      भोपाल में मकान                      13.50 लाख
ओपी खरे                                           पन्ना में कृषि भूमि                   4.50 लाख
राजाराम वर्मा                                      इंदौर में प्लाट                         20 लाख
एसके मस्के                                       दामखेड़ा भोपाल में भवन          10 लाख
एसए करीम                                        सतना में भवन                      15 लाख
एसआर उइके                                      छिंदवाड़ा में प्लाट                   5.90 लाख
                                                      भोपाल में प्लाट                     12.50 लाख
एसएल जैन                                       दमोह में कृषि भूमि                 10 लाख
                                                      जबलपुर में प्लाट                   20 लाख

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