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नेता और अफसरों की लापरवाही ने ली जानें

पानी की टंकी में लीकेज के कारण कभी भी हादसा होने की आशंका जताते हुए बीते तीन साल से पीएचई और नगर निगम को शिकायत कर रहे थे आस पास के रहवासी

ब्यूरो, भोपाल



नेता और अफसरों की लापरवाही ने ली जानें तकनीकी और प्रशासनिक लापरवाही के चलते साई बाबा नगर में पानी की टंकी के ढ़हने का हादसा हुआ, जिसमें 7 बेकसूरों की दर्दनाक मौत हो गई। आस पास के रहवासियों का साफ कहना है कि, बीते तीन साल से पानी की टंकी से हर दूसरे दिन लीकेज होने के कारण सड़कों पर घुटने तक पानी भरने के साथ ही घरों में भी पानी भरता था। इससे परेशान होकर बीते तीन साल में हर उस शख्स से फरियाद की गई, जोकि सुधार करवा सकता था, लेकिन हर बार सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिला। इसी लापरवाही के चलते आठ लोगों को जान गंवानी पड़ी और कई परिवार बर्बाद हो गए। हालांकि, हादसे के बाद अब जांच और कड़ी कार्रवाई की घोषणाएं जरुर की जा रही हैं, लेकिन पूर्व में शिकायतों की सालों तक अनसुनी करके हादसे की वजह बनने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आसार धूमिल ही हैं।

नेता और अफसरों की लापरवाही ने ली जानें
पेयजल सप्लाई के लिए बनाई गई टंकियों के रखरखाव में नगर निगम प्रशासन हमेशा से ही लापरवाही बरतता आ रहा है। गौरतलब होगा कि, तत्कालीन महापौर उमाशंकर गुप्ता के कार्यकाल में विधानसभा के सामने बने 5 एमजीडी प्लांट के टंकी की दीवार फट गई थी। उस समय पुल और कांक्रीट विशेषज्ञ सीवी कांड की देखरेख में दोबारा दीवार बनवाई गई थी। उस समय निगम प्रशासन ने तय किया था कि, टंकियों की नियमित सफाई और मरम्मत होगी। हालांकि, एक भी टंकी की सफाई और संधारण का काम कभी नहीं किया गया। हद तो यह रही कि, जनता की शिकायतों को भी गंभीरता से नहीं लिया गया।

शुरु से बरती गई लापरवाही
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से पेयजल व्यवस्था का हस्तातंरण नगर निगम को 24 नवबंर, 1995 को हुआ था। इसके बाद से ही नगर निगम प्रशासन ने कभी भी पेयजल प्रदाय व्यवस्था के सुचारु संचालन और संधारण को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई। गौरतलब होगा कि, शुरुआत में नया भोपाल पीएचई और पुराना भोपाल नगर निगम के इंजीनियरों के हवाले था। बाद के दिनों में नगर निगम के दर्जनभर इंजीनियर एक के बाद एक रिटायर होते गए, लेकिन निगम प्रशासन ने एक भी नई भर्ती नहीं की, बल्कि पीएचई के ही इंजीनियरों पर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ाते गए।

नहीं होती हर 6 महीने में सफाई
पानी की टंकियों के संबंध में पीएचई का ही प्रावधान है कि, हर 6 महीने में टंकी की सफाई और संधारण होगा। सफाई और संधारण की तारीख पानी की टंकी में लिखी जाएगी, इसके साथ ही पिछली तारीख और आगामी सफाई एवं संधारण की तारीख भी लिखी जाती है। इसका पालन साईबाबा नगर की टंकी से लेकर भोपाल की सारी टंकियों में कभी नहीं किया जाता। अगर सालभर में एक बार भी सफाई की जाती तो टंकी खामी सामने आती और उसकी मरम्मत हो जाती। होता यह है कि, टंकियों की न कभी सफाई और मरम्मत होती है और न ही कभी तारीख लिखने की नौबत आती है।

हादसे के यह कारण बताने की तैयारी 

नेता और अफसरों की लापरवाही ने ली जानें टंकी के ढहने के कारणों को लेकर कुछ कारण सामने आए हैं, जिन पर पहले ध्यान दिया गया होता तो हादसे को टाला जा सकता था। इनमें से सबसे बड़ा कारण टंकी से लीकेज के अलावा टंकी के नीचे सीवेज और गंदे पानी का जमाव था। टंकी के एक तरफ पहाड़ी है, जिस पर झुग्गीबस्ती है। बस्ती का गंदा पानी बहता हुआ टंकी के नीचे आकर जमा होता है, क्योंकि पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। टंकी के नीचे पानी भरा रहने से मिट्टी की हार्डनेस कम होती गई, जिसके नतीजे में भारवहन क्षमता में कमी आ गई। इसके अलावा सीवेज और गंदा पानी भरा रहने के कारण सलफ्यूरिक एसिड बनने लगा, जिसके प्रभाव से टंकी के बेस में लगे आइरन में जंग लग गया। इससे कांक्रीट कमजोर होना ही था। ऐसे में अनुमान है कि, टंकी के पिलर तिरछे होते गए और आखिरकार 13 लाख लीटर पानी के बोझ से ढ़ह गए।

और बन गया स्कूल

टंकी के बगल में तीन मंजिला स्कूल की बिल्डिंग
टंकी के बगल में तीन मंजिला स्कूल की बिल्डिंग
टंकी के बगल में ही एक तीन मंजिला स्कूल की बिल्डिंग है। पहले यह जगह नगर निगम के आधिपत्य में थी, जिससे झुग्गियों के साथ ही बरसात का पानी भी आसानी से निकल जाता था। इसके बाद टंकी से महज 20 फुट की दूरी पर स्कूल की बिल्डिंग बन गई, जिससे बीते तीन साल से पानी का निकास बंद हो गया। इस स्कूल के निर्माण के लिए बिल्डिंग परमीशन कैसे मिली? इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव ने कहा है कि, बिल्डिंग परमीशन और भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज की जांच कराएंगे।

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तीन साल से कर रहे हैं शिकायत

बृजबल्लभ सिंह चौहान, पुलिस महानिरीक्षक (सेनि)
बृजबल्लभ सिंह चौहान
टंकी से पानी लीकेज की शिकायत पिछले तीन साल से पार्षद, नगर निगम और मेयर आफिस में करते आ रहे हैं, लेकिन सुधार नहीं किया गया। पार्षद चुनाव जीतने के बाद एक बार भी नहीं आर्इं। प्रभारी कार्यपालन यंत्री उदित गर्ग को फोन लगाने पर फोन ही नहीं उठाते, बीते पांच साल में एक बार भी गर्ग इस टंकी को देखने तक नहीं आए। इस बारे में मेयर कृष्णा गौर के यहां शिकायत करने के बाद जरुर फोन पर सब इंजीनियर प्रमोद सिन्हा और एचएस श्रीवास्तव ने कहा था कि, टंकी की शिकायत मिल गई है और दिखवाते हैं। हालांकि, इसके बाद भी कुछ नहीं किया गया। लापरवाही के कारण टंकी गिरी, अगर शिकायतों पर ध्यान दिया गया होता तो बेगुनाहों की जानें नहीं जाती।
बृजबल्लभ सिंह चौहान, पुलिस महानिरीक्षक (सेनि)

जिम्मेदारों ने बरती लापरवाही

रेवा शंकर दुबे, उपायुक्त, मप्र भवन दिल्ली (सेनि)
रेवा शंकर दुबे
पानी की टंकी से लगातार लीकेज के कारण टंकी के आसपास हमेशा पानी भरा रहता था। इसके अलावा हर दूसरे दिन टंकी ओवर फ्लो होती थी, जिससे पूरी सड़क पर घुटनों तक पानी भरता था और घरों में भी पानी भरता था। इस बारे में नगर निगम के कॉल सेंटर में दर्जनभर शिकायतें दर्ज करवाई थी, जिनमें से 3 सितबंर,2011 को शिकायत क्रमांक 4169 और 19 अक्टूबर,2012 को शिकायत क्रमांक 5520 के बाद एक बार फोन पर जरुर भरोसा दिलाया गया था कि, शिकायत को कार्रवाई के लिए संबंधित इंजीनियर को बता दिया गया है, वही संपर्क करेंगे, लेकिन कोई नहीं आया। अगर जिम्मेदार लापरवाही नहीं बरतते और शिकायतों के बाद सुधार करवाते तो हादसा नहीं होता।
रेवा शंकर दुबे, उपायुक्त, मप्र भवन दिल्ली (सेनि)

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