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कुरान के खिलाफ है बिना मध्यस्थता के दिया गया मौखिक तलाक



भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने एसएमएस, ईमेल, पत्र और फोन पर दिए जाने वाले तलाक को धोखा ठहराते हुए बेईमान काजियों और शौहर की मिलीभगत के खिलाफ मुंबई में दिसबंर,2012 में सड़कों पर उतरने का एलान किया

ब्यूरो, भोपाल

मामला नंबर-1

भोपाल के जिंसी इलाके में रहने वाली सबीहा को बिना बताए उसके शौहर की ओर से तलाक देने का सिर्फ एक पत्र कजियात भेजकर तलाकनामा जारी करवा दिया गया। हालांकि, इस खत में शौहर के दस्तखत तक नहीं थे। इस नाइंसाफी के खिलाफ सबीहा की अपील को ठुकरा दिया गया।

मामला नंबर-2

भोपाल के करोद इलाके की तंजीम को एकतरफा तलाक दिया गया। उसके शौहर ने मुफ्ती को सिर्फ एक खत लिखा कि, उसकी बीबी किसी रिजवान नामक शख्स के साथ रहने लगी है और तलाक हो चुका है। हलांकि, असलियत सामने आने पर मुफ्ती ने गलती मानी, लेकिन तलाक फिर भी बरकरार है।

यह दो मामले बानगी है, मुस्लिम महिलाओं को दिए जाने वाले गैर मजहबी तलाक के मामलों की, जिनको भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की मध्यप्रदेश राज्य संयोजक सफिया अख्तर ने मंगलवार को मीडिया के सामने पेश किया। इस दौरान 200 से ज्यादा महिलाओं ने मीडिया से बातचीत के दौरान गलत इल्जाम और गैर मजहबी आधार पर तलाक दिए जाने का खुलासा किया। ज्यादातर मामलों में शौहर ने सिर्फ फोन करके या किसी से खबर भेज कर तलाक दे दिया, जिसको बाद में मुफ्ती या कजियात से जायज ठहरा दिया गया। 

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन
भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन
बीएमएमए की सफिया अख्तर का कहना है कि बिना सुलह वार्ता के दिए जाने वाले तलाक गैर इस्लामिक हैं। इसके बाद भी शौहर और बेईमान काजियों की मिलीभगत के चलते तलाक मंजूर किए जा रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरुरी है कि, एसएमएस, ईमेल, फोन या पत्र आदि के जरिए बिना सुलह वार्ता के दिए जाने वाले तलाकों पर सख्ती से रोक लगाई जाए। इसके खिलाफ दिसंबर,2012 में मुंबई में महिलाएं सड़कों पर उतरेंगी। 
उन्होंने बताया कि देश के 12 राज्यों में आंदोलन के कार्यकर्ताओं को ऐसे मामले रोज मिलते हैं, जिनमें मुस्लिम महिलाओं को उनके पति के द्वारा मौखिक अथवा एकतरफा तलाक दिया गया। मुस्लिम पतियों ने तलाक देने के अभिनव तरीके विकसित किये है। उदाहरण के लिए एक पति ने खुद खुलानामा लिखा और बीबी से इस पर हस्ताक्षर करवा लिए। एक अन्य मामले में ससुर ने अपने बेटे की ओर से अपनी बहु को तलाक दे दिया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें एसएमएस, ईमेल, फोन कॉल, पत्र और मौखिक रूप से महिलाओं को तलाक दिया गया है। कई काजी, जिन्हें पति द्वारा पैसा दिया गया है, पत्नी का पक्ष सुनने का कोई अवसर दिए बगैर ही तलाक का नोटिस भेज देते हैं।

बिना मध्यस्थता तलाक गैर इस्लामिक
सफिया ने कहा कि, कुरानिक निषेधाज्ञाएं तलाक की कार्यवाही से पहले मध्यस्थता यानि सुलह वार्ता की मांग करते हैं, इस आदेश को पति और उलेमा जो धर्म के नाम पर मौखिक तलाक के औचित्य की वकालत करते हैं, साफ तौर पर भूल जाते हैं। नतीजे में मुस्लिम महिलाएं कुरान में वर्णित उनके हक से महरुम हैं और पति और बेईमान काजियों के उत्पीड़न का शिकार हैं।

हर हाल में एकतरफा तलाक पर रोक लगे
बीएमएमए ने एकतरफा तलाक को जघन्य प्रथा बताते हुए राज्य और केंद्र सरकार से इस पर सख्ती से रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा पति या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा एकतरफा तलाक की प्रथा को अवैध घोषित करने, तलाक में मध्यस्थता अनिवार्य किया जाए। तलाक अहसान फार्म जैसा की कुरान में वर्णित किया गया है, पति और पत्नी के लिए तलाक की विधि होनी चाहिए। कुरानी निषेधाज्ञा के आधार पर मुस्लिम परिवार कानून के संहिताकरण की प्रक्रिया का समर्थन किया जाए।

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