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मुरैना की गजक को मिलेगी नई पहचान; गजक उत्पादन के 100 सालों में पहली बार होगा मीठोत्सव


मुरैना। जिले की गजक को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए मुरैना में एक और दो दिसंबर को गजक मीठोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। कलेक्टर प्रियंका दास ने बताया कि कार्यक्रम जीवाजीगंज स्थित टाउन हॉल में होगा। उन्होंने बताया कि मीठोत्सव की जिम्मेदारी राज्य आंनद क्लब को दी गई है।

कलेक्टर प्रियंका दास ने गजक उत्पादक व्यापारियों को बताया कि करीब 100 सालों के गजक उत्पादन के इतिहास में अब तक इस तरह इस तरह का आयोजन नहीं हुआ है इसलिए क्यों न हम सब मिलकर मुरैना की गजक को नई पहचान और व्यवसायिक स्तर पर व्यापक ऊंचाइयां दें। जिससे मुरैना गजक की अमिट पहचान विश्व स्तर पर बन सके। 

राज्य आंनद क्लब के मास्टर ट्रेनर डॉक्टर सुधीर आचार्य ने दो दिवसीय “गजक मीठोत्सव” की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए गजक के इतिहास पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन में गजक के 20 से ज्यादा डिजाइन अर्थात रुप-स्वरूप देखने और खाने को मिलेंगे।

उन्होंने बताया कि इस उत्सव में मुरैना के अतिरिक्त तहसील स्तर के गजक उत्पादक अपनी-अपनी स्टॉल लगाएंगे और बाद में उत्कृष्ठ गजक निर्माताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। गजक निर्माता इस महोत्सव में भाग लेने के लिए 15 नवंबर तक अपना रजिस्ट्रेशन आनंद क्लब में करा लें।

गजक यानी तिल और गुड से बनी खस्ता मिठाई। इसे सर्दियों का टॉनिक कहा जाता है। उत्तर भारत की लोकप्रिय गजक दक्षिण भारत में कम ही जानी जाती है। गजक यानी मुरैना की। यहां के कारखानों से तिल, गुड़ शक्कर और मावे से भरपूर गजकों में पिस्ता, काजू गजक, फेनी गजक, गुझिया गजक, सोन गजक रोल, समोसा गजक, मावा गजक, तिल पट्टी, सहित कई प्रकार की तिलकुटिया की गजक बनाकर देश भर में भेजी जा रही हैं। गजक की लोकप्रियता का आलम ये है कि जाड़े के दिनों में शादी और दावतों में मिठाई की जगह गजक ही परोसी जाती है।

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