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जन्म से बोल-सुन नहीं सकता मयंक; कोच से इशारों में सीखी फुटबॉल, अब अंडर-19 नेशनल की सामान्य टीम में खेलेगा


शिवपुरी। शिवपुरी शहर की श्रीराम कॉलोनी में रहने वाला 18 साल का मयंक अग्रवाल जन्म से बोल-सुन नहीं सकता, लेकिन फुटबॉल के प्रति ऐसा जुनून जागा कि उसने कोच से इशारों के माध्यम से फुटबॉल खेलने के टिप्स सीखे। आठ साल तक लगातार अभ्यास के बाद पहले उसका चयन ग्वालियर संभाग की टीम में फॉरवर्ड खिलाड़ी के रूप में हुआ।
 
स्टेट लेवल पर उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया तो अब चयनकर्ताओं ने उसे नेशनल के लिए मप्र की अंडर-19 टीम में चुना है। अब वह अंडमान-निकोबार में होने वाली प्रतियोगिता में सामान्य खिलाड़ी के रूप में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेगा। मयंक के पिता भूपेश और मां अर्चना अग्रवाल ने बेटे के बारे में बताया कि मयंक जन्म से ही बोल और सुन नहीं सकता, लेकिन खेलों के प्रति उसका बचपन से ही रुझान रहा। 

शहर का पोलो ग्राउंड उनके घर से काफी नजदीक है। मयंक वहां पहुंचकर क्रिकेट खेलता था। 10 साल की उम्र में उसने दोस्तों के साथ पहली बार फुटबॉल खेला। इसके बाद उसे कोच के रूप में रज्जाक सर और कल्लू सर मिले। दोनों ने उसका खेल देखा तो हैरान रह गए। इसके बाद उन्होंने मयंक को फुटबॉल में महारत दिलाने की सोची। बोलने और सुनने की क्षमता ने होने से शुरू में उसे सिखाने में काफी मुश्किल हुई। मयंक की लगन को देखते हुए दोनों ने उसे इशारों से खेल के टिप्स देने शुरू किए। 

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