अब कैदियों को एक साल में ही मिलेगी पैरोल, अभी तक तीन साल थी मियाद
विजय एस. गौर, भोपाल। सूबे की जेलों में सजा काट रहे कैदियों और उनके परिवारों के लिए अच्छी खबर है। अगर कैदी अच्छा आचरण करते हैं तो उनको जेल अधीक्षक के प्रमाणीकरण से सजा में रियायत मिलेगी। ऐसे में तीन साल की सजा वाले कैदी दो साल में भी रिहा हो सकेंगे। इसका प्रभाव यह भी पडेÞगा कि अब सूबे की जेलों में कैदियों का दबाव कम हो सकेगा।
दरअसल अभी तक कैदियों को किसी भी कारण से जेल अधीक्षक दंडित करता है तो उसकी माफी काट देता है। माफी काटने का तात्पर्य उसको पूरा महीना काम करने के बाद 3 दिन काम से माफी, 3 दिन अच्छे आचरण से सजा में माफी और एक दिन रविवार का यानि कुल प्रति माह 7 दिन माफी के मिलते हैं। इस तरह एक माह की सजा पूरी होने पर कुल सजा के दिन एक माह और सात दिन काउंट होंगे। ऐसे में अगर कैदी के गलत आचरण पर जेल अधीक्षक एक माफी भी काट देता है तो उसको अगले तीन साल तक पैरोल का अधिकार नहीं रहता। इसके साथ ही सजा में माफी नहीं मिलती। सामान्य शब्दों में कहें तो तीन साल की सजा वाले कैदी को अच्छे आचरण के चलते करीब दो साल में ही रिहाई मिल सकेगी।
डीजी जेल के प्रयास रहे कामयाब
इस बारे में डीजी जेल अरविंद कुमार ने मानवीय दृष्टिकोण से सजा अत्यधिक होने के चलते कम करने के बारे में प्रयास शुरू किए। जेल प्रशासन की ओर से इस बारे में प्रपोजल शासन को भेजा गया, जिसके बाद विधि विभाग, वित्त विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग आदि से सहमति के बाद करीब छह महीने बाद आदेश जारी हो सका।
यह मुद्दा संज्ञान में आते ही सुधार के लिए कोशिशें शुरू की, जिसके नतीजे में अब संशोधन हो सका है। इंसानी गलती पर तीन साल के लिए पैरोल खत्म करना ज्यादा सजा थी, इसलिए इसको कम करके एक साल किया है। इतनी सजा रीजनेबल है।
अरविंद कुमार, डीजी, जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं