देवों के देव महादेव श्रीशिव को कल्याणकारी देवता के रूप में सर्वत्र पूजा जाता है।श्रावण माह में शिवलिंग की पूजा-अभिषेक अनेक मनोरथों को पूर्ण करने वाली है। अतः जो आत्मसिद्धि चाहता है उसे शिवलिंग की विधिवत पूजा करनी चाहिए। सभी देवता,दैत्य,सिद्धगण,पितर,मुनि,किन्नर आदि लिंगमूर्ति का अर्चन करके सिद्धि को प्राप्त हुए हैं। शास्त्री जी के अनुसार शिव पुराण में ,सनातन परंपरा में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग की पूजा के अलग-अलग फल बताए गए हैं,लेकिन सभी प्रकार के शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व :-
शिवपुराण के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य,सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है। शिव महापुराण में दिए गए श्लोक "अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम।
सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।"के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत ही) जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की पुत्रवधु होती है वो शिवशंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है। इनकी पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है। जो दम्पति संतान प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं,उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए।
पार्थिव शिवलिंग पूजा ।
