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प्रधानमंत्री ने पण्डित मदनमोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर 'पण्डित मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वाङ्ग्मय’ का लोकार्पण किया

नई दिल्ली। महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में 'पण्डित मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वाङ्ग्मय' की 11 खंडों की पहली श्रृंखला का विमोचन किया। श्री मोदी ने पण्डित मदनमोहन मालवीय को पुष्पांजलि भी अर्पित की। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध संस्थापक पण्डित मदनमोहन मालवीय का आधुनिक भारत के निर्माताओं में अग्रणी स्थान है। उन्हें महान विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए काफी काम किया।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन की शुरुआत सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं देने के साथ की। उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत और भारतीयता में विश्वास करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का उत्सव है क्योंकि आज अटल जयंती है और महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय की भी जयंती है। प्रधानमंत्री मोदी ने महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को नमन किया। उन्होंने अटल जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस मनाए जाने का भी उल्लेख किया और भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने युवा पीढ़ी और अनुसंधानकर्ताओं के लिए 'पण्डित मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वाङ्ग्मय' के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महामना की संकलित कृतियां बीएचयू से संबंधित मुद्दों, कांग्रेस नेतृत्व के साथ महामना के संवाद और ब्रिटिश नेतृत्व के प्रति उनके दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेंगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि महामना की डायरी से संबंधित पुस्तक देश के लोगों को समाज, राष्ट्र और अध्यात्म के क्षेत्र में मार्गदर्शन कर सकती है। प्रधानमंत्री ने महामना के इस संकलित कृतियों के पीछे टीम की कड़ी मेहनत की सराहना की और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, महामना मालवीय मिशन और श्री राम बहादुर राय को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार पैदा होते हैं और उनका प्रभाव आने वाली कई पीढ़ियों पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह ज्ञान और क्षमता के मामले में अपने समय के महानतम विद्वानों के समकक्ष थे। श्री मोदी ने कहा कि महामना आधुनिक सोच और सनातन संस्कृति के संगम थे। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बताया कि महामना ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ राष्ट्र की आध्यात्मिक आत्मा को पुनर्जीवित करने में भी समान योगदान दिया। राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए उनकी एक नजर वर्तमान चुनौतियों पर और दूसरी नजर भविष्य के विकास पर थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि महामना ने अपनी पूरी ताकत के साथ देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और सबसे कठिन वातावरण में भी संभावनाओं के नए बीज बोए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महामना के ऐसे कई योगदान अब आज लॉन्च हो रही संपूर्ण पुस्तक के 11 खंडों के माध्यम से प्रामाणिक रूप से सामने आएंगे। श्री मोदी ने कहा कि महामना को भारत रत्न से सम्मानित करना हमारी सरकार का सौभाग्य रहा है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि महामना की तरह उन्हें भी काशी के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला। उन्होंने याद दिलाया कि जब वे काशी से चुनाव लड़ने आये थे तो उनका नाम मालवीय जी के परिवार के सदस्यों ने प्रस्तावित किया था। उन्होंने बताया कि महामना की काशी के प्रति अगाध आस्था थी और यह शहर आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है और अपनी विरासत के गौरव को पुनः स्थापित कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल में भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाकर आगे बढ़ रहा है। श्री मोदी ने कहा, “मालवीय जी के विचारों की सुगंध आपको हमारी सरकारों के कामकाज में भी कहीं न कहीं महसूस होगी। मालवीय जी ने हमें एक ऐसे राष्ट्र का दर्शन दिया है जिसमें इसकी प्राचीन आत्मा इसके आधुनिक शरीर में सुरक्षित और संरक्षित रहे।” प्रधानमंत्री ने मालवीय जी द्वारा भारतीय मूल्यों से लैस शिक्षा पर जोर दिए जाने और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना व भारतीय भाषाओं की हिमायत किए जाने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “उनके प्रयासों के कारण, नागरी लिपि प्रयोग में आई और भारतीय भाषाओं को सम्मान मिला। मालवीय जी के ये प्रयास आज देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी दिखाई देते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “किसी भी देश को मजबूत बनाने में उसकी संस्थाओं का भी उतना ही महत्व होता है। मालवीय जी ने अपने जीवन में ऐसी अनेक संस्थाएं बनाईं जहां राष्ट्रीय व्यक्तित्वों का निर्माण हुआ।” प्रधानमंत्री ने बीएचयू के अलावा हरिद्वार में ऋषिकुल ब्रह्माश्रम, प्रयागराज स्थित भारती भवन पुस्तकालय, सनातन धर्म महाविद्यालय का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्तमान सरकार के तहत अस्तित्व में आने वाले सहकारिता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस, इंटरनेशनल सोलर अलायंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्लोबल साउथ के लिए दक्षिण, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, इन-स्पेस और समुद्री क्षेत्र में सागर जैसी संस्थाओं की श्रृंखला का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “भारत आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की कई संस्थाओं का निर्माता बन रहा है। ये संस्थाएं 21वीं सदी के भारत को ही नहीं बल्कि 21वीं सदी के विश्व को एक नई दिशा देने का काम करेंगे।”

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