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शतचंडी महायज्ञ रामदास आश्रम

शतचंडी महायज्ञ कथा

बेगमगंज। रामदास आश्रम दशहरा मैदान में सत चंडी महायज्ञ एवं सॉन्ग सदाशिव प्राण प्रतिष्ठा एवं संगीतमय राम कथा चल रही है कथा वाचक पंडित श्याम शरण कौशिक महाराज के द्वारा उनके मुखारविंद से 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक कथा का वाचन किया जा रहा है। 18 अप्रैल को कन्या भोज और भंडारा रहेगा शत चंडी महायज्ञ में उप आचार्य पंडित  विकास कौशिक महाराज है। यज्ञ आचार्य पंडित स्वदेश शास्त्री  हैं। 

सोमवार को श्री राम कथा में राम जन्म उत्सव के बारे में पंडित श्याम शरण कौशिक महाराज के द्वारा बताया गया कि दशरथ पुत्र कौशल्या नंदन प्रभु श्रीराम का जन्म सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्यापुरी में हुआ था। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न उनके भाई और लव एवं कुश उनके पुत्र थे। श्रीराम जन्म होते ही शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में आनंद हो रहा था। वन फूले हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियां अमृत की तरह बह रही थीं। जब ब्रह्माजी ने भगवान के प्रकट होने का समाचार सुना तो उनके समेत सारे देवता विमान सजा- सजाकर अयोध्या पहुंच गए। निर्मल आकाश देवताओं  से भर गया। गंधर्वों के दल गुणों का गान करने लगे और सुंदर अंजलियों में सजा- सजाकर पुष्प बरसाने लगे।

उन्होंने कहा कि बच्चे के रोने की बहुत ही प्यारी ध्वनि सुनकर सब रानियां उतावली होकर दौड़ी चली आईं। दासियां हर्षित होकर जहां-तहां दौड़ीं। सारे पुरवासी आनंद में मग्न हो गए। राजा दशरथजी ने सोचा जिनका नाम सुनने से ही कल्याण होता है, वही प्रभु मेरे घर आए हैं। यह सोचकर राजा दशरथ का मन परम आनंद से पूर्ण हो गया। उन्होंने बाजे वालों को बुलाकर कहा कि बाजा बजाओ और इस तरह संपूर्ण नगर में उत्सव की शुरुआत हो गई। ध्वजा, पताका और तोरणों से नगर छा गया। जिस प्रकार से वह सजाया गया, उसका तो वर्णन ही नहीं हो सकता। फिर राजा ने नांदीमुख श्राद्ध करके सब जातकर्म-सं स्कार आदि किए और ब्राह्मणों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया॥ राजा ने सब किसी को भरपूर दान दिया। जिसने पाया उसने भी अपने पास नहीं रखा लुटा दिया। नगर की सभी गलियों के बीच- बीच में कस्तूरी, चंदन और केसर की कीच मच गई। घर-घर मंगलमय बधावा बजने लगा, क्योंकि शोभा के मूल भगवान प्रकट हुए हैं। नगर के स्त्री-पुरुषों के झुंड के झुंड जहां-तहां नाचने और झूमने लगे थे और इस तरह संपूर्ण नगरवासियों ने राम का जन्म उत्सव मनाया।


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